एक ओर डिमॉनटाइजेशन के लिए हो जाइये तैयार
काले धन के खिलाफ़ मोदी सरकार एक ओर मुहिम शुरू करने जा रही है। काले धन को खपाकर उसे सोने में बदलने वालों इस कवायद की सीधी मार पड़ेगी। सूत्रों की माने तो इस योजना को शुरू करने के लिए मोदी सरकार आयकर विभाग की एमनेस्टी स्कीम के तर्ज पर लागू कर सकती है। यानि कि लोगों से अपील की जायेगी कि वे स्वेच्छा से अपने पास रखे हुए सोने को खुलासा करे, यदि सोने की घोषित मात्रा सरकार द्वारा तयशुदा मात्रा से ज़्यादा हुई या फिर उसके औपचारिक कागज़ात पेश ना किये जा सके तो सरकार उस पर जरूरी कार्रवाई करेगी।
स्वेच्छा से घोषणा करके उसका कर देना होगा
सरकार एक निर्धारित समय सीमा के लिए एमनेस्टी योजना को क्रियान्वयित करेगी। जिसके तहत करदाताओं को सोने की कीमत का निर्धारण करने के लिए वैल्यूशन सेंटर भेजा जायेगा। करदाता को वैल्यूशन सेंटर से सोने की सही कीमत का अन्दाज़ा हो जायेगा। उसके बाद करदाता को इसी निर्धारित समय सीमा के भीतर इसकी घोषणा सरकारी रिकॉर्ड्स में करनी होगी। और साथ ही इस कर भी देना होगा। योजना खत्म होने के बाद यदि निर्धारित घोषणा, तयशुदा मात्रा या फिर बिना कागजात के किसी व्यक्ति से सोने की रिकवरी होती है तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जायेगा।
सोवरन गोल्ड बॉन्ड को भी बढ़ावा दिया जा सकता है
इस तरह से केन्द्र सरकार मार्केट में गोल्ड फ्लो निगरानी का मैक्निज़्म सरकार तैयार करना चाहती है। उम्मीद ये भी लगायी जा रही है कि सोने को परिसंपत्तियों की श्रेणी में भी सरकार सूचीबद्ध कर सकती है। जिसके लिए सोवरन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में जरूरी बदलाव किये जायेगें। कयास ये भी लगाया जा रहा है कि इसकी औपचारिक अधिसूचना केन्द्र सरकार एमनेस्टी योजना के साथ ही जारी करेगी। गोल्ड बोर्ड बनाने से जुड़ी कवायदे भी सामने आती दिख रही है।
वित्त मंत्रालय ने मसौदा तैयार कर कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति को भेजा
इस स्कीम का पूरा खाका वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग और रेवेन्यू डिपार्टमैन्ट ने मिलकर तैयार किया है। इस मसौदे को वित्त मंत्रालय ने आगामी कार्रवाई के मद्देनज़र आर्थिक मामलों की संसदीय समिति को भेजा दिया है। उम्मीद जतायी जा रही है कि जल्द ही ये मसौदा देशभर में लागू हो जायेगा। इस मसले को लेकर अक्टूबर के दूसरे हफ़्ते में इस संभावित चर्चा की जानी थी। लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के चलते इसे स्थगित कर दिया गया।
विमुद्रीकरण के बाद मोदी सरकार का काले धन पर ये दूसरा वार है। फिलहाल तो इसका ड्राफ्ट ही सामने आया है। जब इस मसौदे पर चर्चा की जायेगी तो इसमें कई संशोधन होने की भी संभावना है। दूसरी ओर आम जनता है वो इसे कैसे देखती है। ये काफी अहम् होगा।