न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): साल 2002 के भयानक गुजरात दंगों (2002 Gujarat riots) के दो दशक बाद अहमदाबाद (Ahmedabad) की एसआईटी अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व मंत्री माया कोडनानी (Maya Kodnani) और बजरंग दल (Bajrang Dal) के पूर्व नेता बाबू बजरंगी (Babu Bajrangi) समेत नरोदा गाम नरसंहार के सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिया।
नरोदा गाम मामले (Naroda Gam Massacre Case) में पूर्व भाजपा विधायक माया कोडनानी और अन्य अभियुक्तों को बरी करने के फैसले का ऐलान अहमदाबाद की विशेष अदालत की पीठ ने भाजपा नेता को मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाये जाने के लगभग दो दशक बाद की।
साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुई नौ बड़ी हिंसक वारदातों में से एक मुसलमानों का नरोदा गाम नरसंहार था, इस घटना में गुजरात (Gujarat) के कई इलाकों में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच हिंसक झड़प देखी गयी।
नरोदा गाम नरसंहार का मामला गुजरात में सबसे भयानक अपराध मामलों में से एक है, जो कि साल 2002 के दंगों के दौरान हुआ था। इसी साल 28 फरवरी को अहमदाबाद के नरोदा गाम इलाके में दंगाइयों की भीड़ ने 11 मुसलमानों को जलाकर मार डाला था।
ये घटना गोधरा ट्रेन नरसंहार (Godhra Train Massacre) के बाद गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ हुई हिंसा के नौ हमलों में से एक थी, जहां अयोध्या (Ayodhya) से लौट रहे 59 हिंदू कारसेवक (Hindu Kar Sevak) साबरमती एक्सप्रेस के अंदर आग लगने से मारे गये थे, साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) को कथित तौर पर मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ (Mob of Muslim Rioters) ने आग के हवाले कर दिया था।
माया कोडनानी जो कि उस दौरान बीजेपी विधायक थीं और साल 2002 में नरेंद्र मोदी कैबिनेट (Narendra Modi Cabinet) के तहत गुजरात सरकार (Government of Gujarat) में मंत्री थीं, को नरोदा गाम नरसंहार मामले में प्राथमिक आरोपी माना गया था।
मामले के चश्मदीदों ने गवाही दी थी कि कोडनानी मौका ए वारदात पर हिंदू दंगाइयों को तलवारें और हथियार देते हुए देखी गयी थीं। मोबाइल फोन रिकॉर्ड से ये भी पता चला कि वो मौके पर मौजूद थी, साथ ही दंगों के दौरान वो पुलिस कर्मियों के साथ-साथ मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) से लगातार संपर्क बनाये हुए थी।
कई बार एसआईटी जांच नोटिसों की अनदेखी करने के बाद भाजपा की पूर्व विधायक माया कोडनानी को भगोड़ा करार दिया गया और साल 2012 में नरोदा गाम नरसंहार के मामले में उन्हें 28 साल की जेल की सजा सुनाई गयी।