न्यूज़ डेस्क (समरजीत अधिकारी): बीते रविवार राज्यसभा (Rajya Sabha) सदन में विपक्षी सांसदों ने प्रस्तावित तीनों कृषि बिलों के विरोध में जमकर हंगामा काटा (High Voltage Drama). विपक्षी सांसदों ने वेल में घुसकर नारेबाज़ी की, माइक तोड़े, रूल बुक फाड़ी और पीठासीन राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश (Presiding Deputy Chairman of Rajya Sabha Harivansh) के साथ बदसलूकी भी की। शाम होते ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में प्रकाश जावड़ेकर, थावरचंद गहलोत, पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी और मुख़्तार अब्बास नकवी ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मामले पर रोष जाहिर किया। जिसके चलते आज राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने केन्द्र सरकार के प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए आठ विपक्षी सांसदों को संसदीय कार्रवाई (Parliamentary Procedure) से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
निलम्बित किये गये सांसदों में डेरेक ओ’ब्रायन (तृणमूल कांग्रेस), संजय सिंह (आम आदमी पार्टी) राजू साटव (कांग्रेस),केके रागेश (सीपीआई-एम), रिपुण बोरा (कांग्रेस), डोला सेन (तृणमूल कांग्रेस), सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस),एलमाराम करीम (सीपीआई-एम) का नाम शामिल है। इस बीच सभापति वेंकैया नायडू ने रूल बुक फाड़ने के मसले पर सीधे तौर पर डेरेक ओ ब्रायन का नाम लिया। साथ ही वेंकैया नायडू ने विपक्ष की ओर से पेश किये गये खिलाफ पेश प्रस्ताव को भी खाऱिज कर दिया। इस मसले पर उन्होनें कहा कि राज्यसभा उपसभापति के खिलाफ विपक्षी सांसदों द्वारा पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव तयशुदा नियमों के अनुसार (No-confidence motion not in accordance with prescribed rules) सही नहीं है।
हंगामा बढ़ते देख राज्यसभा को कुछ देर के लिए स्थगित करना पड़ा। दुबारा संसदीय कार्रवाई शुरू होने पर राज्यसभा सभापति वैंकेया नायडू ने कहा- बीते रविवार का दिन राज्यसभा के लिए बहुत बुरा रहा। जब कुछ राज्यसभा सांसद विरोध जाहिर करने के लिए सदन के वेल में आ गये। डिप्टी चेयरमैन के साथ धक्कामुक्की कर बदसूलकी की गयी। कुछ सदस्यों ने उपसभापति के लिए गलत शब्दों को इस्तेमाल किया। सदन में माइक को तोड़ना रूल बुक फाड़ना संसदीय गरिमा के विरूद्ध है इसे स्वीकार नहीं किया जायेगा। मेरा सांसदों के लिए सुझाव है कि थोड़ा वक़्त निकालकर आत्म अवलोकन (Self observation) करे।
बीते रविवार को हुए हंगामे को देखते हुए संसदीय प्रणाली के जानकार (Parliamentary system expert) मान रहे थे कि सरकार हंगामा करने वाले सदस्यों के खिलाफ नियम 256 के तहत प्रस्ताव ला सकती है। जिसके बाद कड़ी कार्रवाई के प्रावधान सांसदों पर लागू होगें। फिलहाल संसदीय कार्रवाई से हंगामा काटने वाले सांसदों को निलंबित कर सभापति ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि संसदीय गरिमा की अवहेलना करने वाले सदस्यों (Members disregarding parliamentary dignity) को किसी भी कीमत पर बख़्शा नहीं जायेगा।