न्यूज़ डेस्क (दिगान्त बरूआ): हाथरस सामूहिक बलात्कार (Hathras Gang rape) पीड़िता का देर रात तकरीबन 03:00 बजे अन्तिम संस्कार कर दिया गया। इस बीच पीड़िता के परिजनों (Family of the victim) ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर ज़बरन अन्तिम संस्कार करवाने की आरोप लगाया। परिजनों के मुताबिक यूपी पुलिस ने उनकी मंजूरी के बगैर उन्हें घर में बंद करके शव को मुखाग्नि दे दी। हाल ही में सोशल मीडिया पर इससे जुड़ा एक कथित वीडियो भी वायरल होता दिखा। जिसमें देखा गया कि भरी प्रशासनिक अमले और पुलिस की तैनाती के बीच चिता जल रही है। एक महिला पत्रकार पुलिस से चिता के बारे में पूछ रही है लेकिन मौके पर मौजूद यूपी पुलिस कर्मी कुछ बताने में असमर्थ दिखे।
ज़बरन अन्तिम संस्कार कराने के मामले पर हाथरस डीएम ने औपचारिक बयान (Hathras DM’s formal statement) दिया और कहा- देर रात करीब 12:45 पीड़िता का शव उसके पैतृक गांव लाया गया। मैनें पीड़िता के पिता और भाई से बातचीत की उन्होंने शव का अन्तिम संस्कार रात में ही करने की रजामंदी ज़ाहिर कर दी थी। इस दौरान करीब सवा घंटा एम्बुलेंस शव को लेकर उनके घर के बाहर खड़ी रही। परिवारवालों की मौजूदगी में पीड़िता के शव का अन्तिम संस्कार रात दिन बजे कर दिया गया। ऐसे में ज़बरन अन्तिम संस्कार (Force Fully funeral) कराने की जो बातें उठ रही है वो पूरी तरह बेबुनियादी है।
दूसरी ओर पीड़िता के चाचा पुलिस पर ज़बरन शव का अन्तिम संस्कार कराने का आरोप लगा रहे है उनके मुताबिक अन्तिम संस्कार के दौरान पीड़िता के मां-बाप और भाई में से कोई भी मौके पर मौजूद नहीं था। उस दौरान सभी लोग दिल्ली में ही थे। उन्होनें कहा कि परिवार वालों में कोई भी मौजूद नहीं है ऐसे में रात में अन्तिम संस्कार नहीं किया जा सकता है। तब यूपी पुलिस ने कहा कि अगर नहीं करोगे तो हम खुद कर देंगे।
मामले पर खुद पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बात की और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिये। जिसके बाद मामले पर खुली राजनीति शुरू हो गई। यूपी कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi in charge of UP Congress) ने योगी सरकार पर ज़ुबानी हमला करते हुए कथित ज़बरन अन्तिम संस्कार अमानवीय कृत्य बताया। फिलहाल मामले की जांच के लिए एसआईटी गठन का ऐलान किया गया है। गृह सचिव की अध्यक्षता में डीआईजी चंद्र प्रकाश और आईपीएस अधिकारी पूनम की अगुवाई में तीन सदस्यीय टीम (Formation of three-member SIT team) बनाई गयी है। ये टीम तयशुदा वक़्त में मामले की जांच कर मुख्यमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट सौंप देगी।
दूसरी ओर मामले में कुछ बड़े सवाल अभी भी बने हुए है जैसे कि- प्रशासनिक महकमें के सामने रात में अन्तिम संस्कार करवाने की क्या जरूरत थी? डीएम के बयान और पीड़िता के चाचा के दावों में इतना विरोधाभास क्यों है? अगर पीड़िता के चाचा का दावा सही है तो यूपी पुलिस और प्रशासन ने किसकी शह पर ज़बरन अन्तिम संस्कार करवाया। पुलिस और हाथरस जिला प्रशासन ने किसके दबाव में आकर ये कदम उठाया? इन सवालों का ज़वाब ढूढ़ा जाना जरूरी है।