नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): हाथरस सामूहिक बलात्कार मामले (Hathras Gang rape Case) में पीड़िता के परिजन अब जिले के प्रशासनिक अमले पर बड़े आरोप लगा रहे है। परिवार वाले मीडिया की सहायता से अपनी बात देश तक पहुँचाने की जुगत में लगे हुए है। इसी क्रम में पीड़िता का चचेरा भाई (Victim’s cousin) पुलिस वाले से छिपते-छिपाते खेतों के रास्ते निकलकर मीडिया से मिला और अपना पक्ष रखा। उसने जो बातें बतायी उससे भारत की लोकतान्त्रिक प्रणाली का सिर शर्म से झुकना तय है। पीड़िता के भाई के मुताबिक डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट प्रवीण लक्षकार (District Magistrate Praveen Laxkar) ने पीड़ित परिवार के साथ जमकर बदसूलकी की। उनके लिए गलत शब्दों का इस्तेमाल किया। सभी परिवार वालों का मोबाइल फोन छीन लिया गया। साथ ही इससे चार कदम आगे बढ़कर डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट प्रवीण लक्षकार ने पीड़िता के पिता के सीने पर जोरदार लात मारी जिससे पीड़िता के पिता काफी देर के लिए बेहोश हो गये।
पीड़िता के चचेरा भाई ने आगे बताया कि सभी परिवार वालों को ज़बरन कमरों में बंद कर दिया गया। साथ ही मौके पर पुलिस उन्हें लगातार चुप्पी बनाये रखने के लिए हिंसात्मक दबाव (Violent pressure) बनाने लगी रही। पीड़िता का परिवार यूपी पुलिस, हाथरस जिला प्रशासन और एसआईटी की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है। परिवारवालों के मुताबिक पुलिस-प्रशासन और एसआईटी ने आरोपी पक्ष से हाथ मिला लिया है। पीड़िता के परिजनों ने एसआईटी और सीबीआई जांच की माँग को खाऱिज करते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में मामले की जांच करवाने की अपील की है। इस बीच पीड़िता की माँ ने यूपी पुलिस पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने ज़बरन उनकी मंजूरी और मौजूदगी के बगैर पीड़िता का अन्तिम संस्कार कर दिया। जिले के एसपी और डीएम सफेद झूठ बोल रहे है। उनका नार्को और पॉलीग्राफिक टेस्ट (Narco and polygraph test) होना चाहिए।
मृतका के भाई ने फोरेंसिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट (Forensic and post mortem report) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि मेडिकल रिपोर्ट्स में बलात्कार की बात साज़िशन छिपाई जा रही है। ऐसे में रिपोर्ट्स के आधार पर जांच आगे बढ़ाना कहीं से भी तर्कपूर्ण नहीं होगा। जिला प्रशासन का रवैया पूर्वाग्रहों से भरा हुआ है। जिसमें यूपी पुलिस भी शामिल है। इन सब बातों का साफ मतलब निकलता है कि मामलों को दबाने की कोशिश की जा रही है। परिवार वालों ने आगे आरोप लगाया कि पुलिस उनके घर के अन्दर डटी रही, जिससे उनकी बहू बेटियों की निजता लगातार भंग होती रही। इन सबके बीच पुलिस लगातार मानसिक और भाषिक उत्पीड़न (Mental and linguistic harassment) करके परिवारवालों को दिमागी रूप से तोड़ने की कोशिश करती रही। कुल मिलाकर परिवार डीएम प्रवीण लक्षकार से खासा नाराज़ दिखा।
फिलहाल प्रशासन की ओर से पूरे गांव की गहन निगरानी के ड्रोन की व्यवस्था की गयी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। 12 अक्टूबर तक अपर मुख्य सचिव गृह, डीजीपी, एडीजी और डीएम व एसपी को मामले पर ज़वाब दाखिल करने के निर्देश जारी कर दिये गये है। ज़मीनी हालातों का जायजा लेने और पीड़िता परिवार से मिलने के लिए यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और डीजीपी एचसी अवस्थी हाथरस के बूलगढ़ी के लिए रवाना हो चुके है।