Karwa Chauth Vrat 2020: इन दिन और इस मुहूर्त-विधि के साथ पूरा करे करवाचौथ का व्रत

न्यूज़ डेस्क (यथार्थ गोस्वामी): प्रत्येक वर्ष करवा चौथ (Karwa Chauth Vrat) का त्यौहार कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस व्रत से प्रभाव से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीष मिलता है साथ ही अगर इस व्रत का पालन अविवाहित कन्यायें करती है तो उन्हें मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। इसे उत्तर भारतीय राज्यों (North Indian states) जैसे राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश हरियाणा, मध्यप्रदेश और पंजाब में खासतौर से मनाया जाता है। इस दिन व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश के साथ चंद्रमा पूजन का सनातनीय विधान है। इस व्रत का अत्यन्त कठिन श्रेणी में रखा जाता है, इस दिन महिलायें निर्जल और निराहार व्रतीय विधानों का पालन करती है।

करवा चौथ व्रत का मुहूर्त

4 नवंबर 2020 दिन बुधवार

करवा चौथ व्रत पूजन का मुहूर्त – गोधूलि बेला 5 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 52 मिनट तक

करवा चौथ व्रत की समयावधि  – प्रात: 6 बजकर 35 मिनट से रात्रि 08 बजकर 12 मिनट तक

करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय का समय – रात 08 बजकर 12 मिनट तक

चतुर्थी तिथि का आरम्भ – प्रात: 03 बजकर 24 मिनट (4 नवम्बर 2020)

चतुर्थी तिथि का पारायण – अगले दिन (बृहस्पतिवार) सुबह 05 बजकर 14 मिनट तक (5 नवम्बर 2020)

करवा चौथ के मंत्र

  • ॐ गणेशाय नमः
  • ॐ नमः शिवाय
  • ॐ शिवायै नमः
  • ॐ षण्मुखाय नमः
  • ॐ सोमाय नमः

करवा चौथ पूजन विधि

शाम के वेला में पूजा के समय व्रती सुहागिन महिलायें स्नानोपरांत माँ गौरी का ध्यान कर सम्पूर्ण श्रृंगार करें और लाल रंग की साड़ी धारण करें। साफ लकड़ी के आसन को गंगाजल (Gangajal) छिड़ककर पवित्र करें। लाल वस्त्र बिछाकर उस चौथ माता की छवि स्थापित करें। चौथ माता की सांकेतिक छवि गेरू से बनाकर उसका भी पूजन किया जा सकता है। दो मिट्टी के करवे और पीतल के लोटे जलभर उसमें अक्षत डाले। इसके बाद दोनों करवों और लोटे पर फूल या धन अर्पित करें। मिट्टी के करवों पर सुपारी मिठाई, रबड़ी,सिंघाड़ा आदि रखकर उन्हें स्थापित कर दें। इसके बाद जल से आचमन कर फूल माला चढ़ाएं। चौथ माता और करवों को हल्दी, अक्षत और रोली से तिलक करें। विघ्नहर्ता गणेश का आवाह्न कर चौथ माता का सम्पूर्ण श्रृंगार का सामान अर्पित करें। श्रृंगार के सामान में सिंदूर और चूड़ी आवश्य होनी चाहिए। धूप, दीप, गंध और नैवेध चौथ माता को चढ़ाये। इसके बाद करवा चौथ की व्रत कथा का श्रवण या पाठन करें। करवों की अदला बदली करने के बाद गणेश जी और चौथ माता की आरती करें। चौथ माता को को पुए और पूरी का भोग लगाये। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति का चेहरा छलनी में देखकर व्रत खोले।

करवा चौथ की कथा

एक कारोबारी के सात बेटे थे और करवा नाम की एक बेटी थी। करवा चौथ के दिन उनके घर में व्रत रखा गया। रात को जब सभी घरवाले भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने उससे भी भोजन करने की बात कही। करवा ने यह कहकर मना कर दिया कि अभी चंद्रोदय (moon rise) नहीं हुआ है और वह चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी। सात भाइयों से ये नहीं देखा जा रहा था कि उनकी बहन सुबह से ही भूखी प्यासी है। करवा का सबसे छोटा भाई एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ पर जलाकर कर आया और करवा से बोला – व्रत तोड़ लो; चांद निकल आया है। करवा को अपने छोटे भाई की चालाकी समझ में नहीं आयी और और वो खाना खाने लगी पहला निवाला खाते ही उसे अपने पति की मौत की खब़र मिली। शोक में डूबी हुई करवा एक साल तक अपने पिता के शव के साथ बैठी रही और उसके शव के ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। अगले साल उसने एक बार फिर से कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आने पर पूरे विधि-विधान के साथ करवा चौथ के व्रत का पालन किया। जिसके पुनीत प्रभाव से उसका पति एक बार फिर से जी उठा।

चौथ मैय्या की आरती

ऊँ जय करवा मइया, माता जय करवा मइया ।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया ।।

ऊँ जय करवा मइया।

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।

यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी ।।

ऊँ जय करवा मइया।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।

दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती ।।

ऊँ जय करवा मइया।

होए सुहागिन नारी, सुख सम्पत्ति पावे।

गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।

ऊँ जय करवा मइया।

करवा मइया की आरती, व्रत कर जो गावे।

व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।

ऊँ जय करवा मइया।

नोट-

  • यदि किसी महिला का मासिक धर्म व्रत के दिन आता है तो वे पूजन सामग्री को स्पर्श ना करे। व्रत के नियमॆ का पालन करते हुए स्वयं ना पूजन करके किसी और महिला (अविवाहित बहन, ननद) से पूजन करवाये। लेकिन रात्रि में स्वंय ही चंद्रमा को अर्घ्य दे। इस विधि से महिला का किसी प्रकार का दोष नहीं लगेगा और उसका करवाचौथ व्रत भी सम्पूर्ण हो जायेगा।
  • कुछ महिलाएं औपचारिकता के लिए मांग में सिंदूर छोटा सा लगा लेती हैं। पराम्परागत विधि-विधान के अनुसार ये अशुभ माना जाता है। करवा चौथ के दिन पर जितना ज्यादा हो सके मांग में उतना ही लंबा सिन्दूर लगाएं तो ये अत्यन्त मंगलकारी होगा।

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