केन्द्र सरकार की मौजूदा विनिवेशीकरण की कवायद को लेकर हड़कम्प का माहौल बना हुआ है। बजट सत्र के दौरान सरकार ने अपने हिस्से के एलआईसी शेयर बाज़ार में उतारने की बात कही थी। जिसके चलते आज जीवन बीमा निगम के कर्मचारियों ने सांकेतिक विरोध दर्ज करवाते हुए, एक घंटे तक कामकाज़ बंद रखा। कामबंदी का आवाह्न एलआईसी से जुड़ी एम्प्लॉयी यूनियन ने किया था। सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के आईपीओ शेयर मार्केट में आने की वज़ह से कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। इस मुद्दे की गर्माहट संसद सत्र में भी देखी गयी। विपक्षी दलों ने इसे देश की पूंजी की नीलामी बताया।
बजट सत्र के दौरान वित्त मंत्री ने कहा था कि, एलआईसी में सरकार अपनी भागीदारी का कुछ अंश आईपीओ लिस्टिंग कर मार्केट में उतारेगी। जिसके बाद एलआईसी से जुड़ी एम्प्लॉयी यूनियन ने इसके विरोध ऐलान कर एक घंटे की कामबंदी की बात कही थी।
जीवन बीमा निगम एम्प्लॉयी यूनियन के मुताबिक, सरकार की ये कवायद किसी भी तरह से राष्ट्र के हित में नहीं है। एलआईसी ने सदैव ही राष्ट्र निर्माण को प्राथमिकता दी है। निगम ने अपनी शुरूआत पाँच करोड़ रूपये से की थी और इसकी मिल्कियत 53 करोड़ में तब्दील हो चुकी है। ये काम एलआईसी ने बिना किसी निजीकरण की कवायद के किया।
एम्प्लॉयी यूनियन के मेम्बरों का मानना है कि, इसे लोगों के बीच एलआईसी की विश्वसनीयता में भारी गिरावट आयेगी। लोग निवेश करने से कतराने लगेगें। एलआईसी का मकसद उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प है, जो वित्तीय रूप से हाशिये पर जी रहे है। अगर सरकार अपने मंसूबों में कामयाब रहती है तो जीवन बीमा निगम जनसेवा करने की बजाय लाभ कमाने वाली संस्था के तौर पर स्थापित हो जायेगी। जिससे ये अपने मूल उद्देश्यों से भटक जायेगी।