न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली): पिछले वित्त वर्ष में मोदी-2.0 सरकार के पहले बजट के तीन सप्ताह के भीतर वित्त मंत्रालय से बाहर कर दिए गए पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शनिवार को आरोप लगाया कि नए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने उनका तबादला करवाया था।
बिजली मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग को संभालने वाले श्री गर्ग ने वित्त मंत्रालय से तबादला होने के बाद जल्द ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (voluntary retirement) ले ली थी। गर्ग ने कहा कि सुश्री सीतारमण, पूर्व वितमंत्री अरुण जेटली से एक दम विपरीत, एक बहुत ही अलग व्यक्तित्व की महिला है।
वित्त मंत्रालय और सुश्री सीतारमण के कार्यालय ने श्री गर्ग के द्वारा लिखे गए ब्लॉग पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
श्री गर्ग ने कहा कि वित्तमंत्री पहले से मेरे बारे में धारणाओं के साथ आई थी इसलिए उन्होंने मेरे साथ एक अच्छा और उत्पादक कार्य संबंध साझा नहीं किया।
उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा कि उनके और वित्तमंत्री के बीच “RBI के आर्थिक पूंजी ढांचे (economic capital framework of RBI), गैर-बैंकों की समस्याओं से निपटने के लिए एक पैकेज, गैर-बैंकों के समाधान (resolution of non-banks), आंशिक ऋण गारंटी योजना (partial credit guarantee scheme), IIFCL जैसे गैर-बैंकों के पूंजीकरण और अन्य वित्तीय संस्थाओं और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी गंभीर अंतर विकसित हो गया था। न केवल हमारे व्यक्तिगत संबंधों में खटास आ गई, बल्कि आधिकारिक कामकाजी संबंध भी काफी अनुत्पादक हो गए।”
उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री सीतारमण उन्हें जून 2019 की बजट प्रेजेंटेशन से पहले ही बाहर करना चाहती थी लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उनका अनुरोध सरकार द्वारा तुरंत स्वीकार क्यों नहीं किया गया।
श्री गर्ग को 24 जुलाई, 2019 को ऊर्जा मंत्रालय के सचिव के रूप में स्थानांतरित किया गया था और उन्होंने आदेश प्राप्त करने के आधे घंटे के भीतर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कर दिया था।
पूर्व वित्तमंत्री जेटली (Jaitley) की अर्थव्यवस्था के गहन ज्ञान और समझ की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने कहा कि उनके उत्तराधिकारी “श्रीमती निर्मला सीतारमण के पास एक बहुत ही अलग व्यक्तित्व है, ज्ञान-पोषण, कौशल-सेट और आर्थिक नीति के मुद्दों के लिए दृष्टिकोण है। यह बहुत जल्दी स्पष्ट हो गया था कि उसके साथ काम करना काफी मुश्किल होने वाला था और यह भारत की $ 10 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के निर्माण के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक सुधार करने के लिए अनुकूल नहीं हो सकता है। ”
श्री गर्ग ने बताया कि उन्होंने बजट पेश होने से बहुत पहले जून 2019 में अपना मन बना लिया था, कि वे सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेंगे और वह सरकार से बाहर व्यापक आर्थिक सुधार एजेंडे पर काम करने में सक्षम है।
श्री गर्ग ने यह भी कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में तत्कालीन अतिरिक्त प्रधान सचिव, पी.के. मिश्रा को कुछ अवसरों पर सुश्री सीतारमण के साथ अपने संबंधों के बारे में बताया था।
श्री गर्ग ने कहा कि “हम दोनों सहमत थे कि नए FM के लिए ‘सुचारू रूप से कार्य करने के लिए’ रास्ते को आसान कर दे। श्री मिश्रा ने मुझे सरकार या फिर सरकार के बहार नियामक संस्थाओं (regulatory bodies) में कहीं भी नौकरी का चयन करने की पेशकश की।”
हालांकि, पूर्व वित्त सचिव ने श्री मिश्रा को सूचित किया कि उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का मन बना लिया है।
गौरतलब है कि गर्ग ने 26 जुलाई, 2019 को कहा था कि वित्त मंत्रालय से उनके स्थानांतरण और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के फैसले के बीच कोई संबंध नहीं है, उन्होंने 18 जुलाई को प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ सेवानिवृत्ति मामले पर पहले ही चर्चा की थी।
राजस्थान कैडर के 1983 बैच के आईएएस (IAS) अधिकारी, श्री गर्ग 2014 में केंद्र में आए थे और उन्हें विश्व बैंक में कार्यकारी निदेशक (Executive Director in the World Bank) नियुक्त किया गया था, जहां वह 2017 तक रहे उसके बाद उन्हें जून 2017 में डीईए सचिव (DEA Secretary) नियुक्त किया गया। मार्च 2019 में, उन्हें पदोन्नत करते हुए वित्त सचिव बना दिया गया।
पूर्व वित्तमंत्री की तारीफ करते हुए श्री गर्ग ने कहा कि अरुण जेटली सार्वजनिक नीति के मुद्दे पर भारी मात्रा में सूचना और सरकारी फाइलों के माध्यम से सार्वजनिक नीति मुद्दे के मूल और पदार्थ की खोज करने वाले अद्भुत क्षमता के साथ मास्टरमाइंड थे।” उनके अच्छा स्वभाव और सर्वसम्मति बनाने की क्षमता भी थी।”
विभागों को चलाने और सचिवों के लिए नीतियों को लागू करने को छोड़कर जेटली ने व्यापक नीतिगत मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि सचिवों से आने वाले प्रमुख नीतिगत मुद्दों पर जेटली ने वास्तव में योगदान को प्रोत्साहित किया।
श्री गर्ग ने कहा कि अपनी नौकरी को छोड़ने का एक कारण ये भी था कि वित्तमंत्री सीतारमण के कार्यकाल के दौरान भारतीय आर्थिक नीति 2030 के दशक की शुरुआत से अंत तक $ 10 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के निर्माण के घोषित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक मुद्दों से भटक रही थी।
उन्होंने यह भी कहा की अंतरिम बजट 2019-20 में घोषित $ 10 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार भटक गई और सरकार लोगो को लुभाने की ओर ध्यान देने लगी।