न्यूज़ डेस्क (गौरांग यदुवंशी): कट्टर इस्लामी ताकतों के खिलाफ फ्रांस (France) ने अपने देश के अलावा बाहरी सरजमीं पर भी मोर्चा खोल दिया है। हाल ही फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली (French Defence Minister Florence Parley) ने ट्विटर के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया कि, फ्रांसीसी सुरक्षा बलों ने बीते हफ़्ते माली में जेहादियों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है। इस अभियान के तहत अल कायदा 50 से ज़्यादा कट्टरपंथी आंतकवादियों को एयर स्ट्राइक में मार गिराया गया है। सैन्य अभियान में फ्रांसीसी सुरक्षा बलों को बड़ी तादाद में हथियार और विस्फोटकों की बरामदगी हुई है।
इस अभियान के दौरान फ्रांसीसी सुरक्षा बलों ने ज़मीनी और हवाई मोर्चों का इस्तेमाल अल कायदा के खिलाफ किया। फ्रेंच मीडिया (French media) के हवाले से ये खब़र सामने आ रही है कि इस सैन्य ऑप्रेशन को बुर्कीन फासो और नाइजर की सीमा के पास अन्ज़ाम दिया गया। जिसके लिए मिराज फाइटर जेट और अत्याधुनिक ड्रोन विमानों तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। इस दौरान हवा से ज़मीनी सतह (SAM) पर मार करने वाली मिसाइलों का जमकर इस्तेमाल किया गया। जिसके बाद ज़मीन पर सघन तलाशी अभियान छेड़ा गया।
फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली के मुताबिक निगरानी (Reconnaissance) के दौरान हमने पाया कि, चरमपंथी आंतकवादी ऐसे इलाके में मौजूद थे। जहां से तीन देशों की सीमायें लग रही थी। जैसे ही उनको निगरानी की भनक लगी तो वे पेड़ो की आड़ में छिपने की कोशिश करने लगे। जरूरी जानकारी जुटाकर मौके पर फ्रांसीसी वायुसेना के मिराज फाइटर जेट और ड्रोन विमानों ने आक्रामक मोर्चा संभाल लिया। इस पूरी कवायद के दौरान 4 ज़िन्दा दहशतगर्दों की धरपकड़ भी की गयी है। इसके साथ ही चरमपंथी समूह इस्लामिक स्टेट (Extremist group islamic state) के साथ भी फ्रांसीसी सुरक्षा बल लोहा ले रहे है। इस अभियान में तीन हज़ार सैनिकों को शामिल किया गया है। इस मिशन को ग्रेटर सहारा इलाके अन्ज़ाम दिया जा रहा है।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के आग्रह पर फ्रांस ने माली में शांति मिशन की कमान संभाल रखी है। जिसके तहत 13 हज़ार सैनिकों की तैनाती की गयी है। जिन्हें विशेष नाम मिनुस्मा से जाना जाता है। अफ्रीकी देश माली बीते 8 सालों से चरमपंथी इस्लामिक जेहाद्दी गुटों की चपेट में है। सालेह इलाके में भी 51,00 फ्रांसीसी सैनिकों की तैनाती की गयी। फ्रांस की भीतर और बाहर एमानुअल मैक्रां ने अपने इरादे के खिलाफ ज़ाहिर कर दिये। अब देखना ये है कि कट्टर इस्लामी मुल्कों से किस तरह की प्रतिक्रिया सामने निकलकर आती है।