नई दिल्ली (शौर्य यादव): अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर (Twitter) लगातार डोनाल्ड ट्रम्प की आलोचनाओं के घेरे में रहा था। इस दौरान रिपब्लिकन समर्थकों (Republican supporters) ने ट्विटर पर चुनावी अभियान के दौरान राजनीतिक मोहरा बनने का इल्ज़ाम लगाया था। जिस पर जमकर बवाल मचा था। हाल ही में भारत में ट्विटर विवादों के घेरे में आ गया है। जिसके वज़ह से उस पर सस्पेंशन का खतरा लगातार मंडरा रहा है। हाल ही में ट्विटर ने लेह को चीन का हिस्सा बताया, जबकि लेह लद्दाख में है।
मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय ने मीडिया प्लेटफॉर्म को नोटिस जारी कर दिया। जिसके बाद कयास लगाये जा रहे है कि अब भारत में ट्विटर की गतिविधियों (ऑनलाइन) को स्थगन और ब्लॉक होने के सामना करना पड़ सकता है। बीते 9 नवंबर को ट्विटर के ग्लोबल वाइस प्रेसिडेंट मंत्रालय द्वारा इस मामले पर औपचारिक खत लिखा गया। जिसमें बताया गया कि, ट्विटर की इस हरकत की वज़ह से देश संप्रभुता की भावना का उल्लंघन (Violation of the spirit of sovereignty of India) हुआ है। लद्दाख भारत का केंद्रशासित प्रदेश है, जिसका मुख्यालय लेह में है। जिसे ट्विटर ने चीन का हिस्सा बताया था।
मंत्रालय द्वारा आपत्ति दर्ज करवाने के बाद अब ये उम्मीद जतायी जा रही है कि, ट्विटर इंडिया को नामजद करते हुए एफआईआर भी दर्ज हो सकती है। केन्द्र सरकार इसे प्रकरण को ट्विटर इंडिया का इरादतन कदम मानकर चल रही है। जिसके तहत देश की संप्रभुता पूर्ण संसदीय प्रणाली को नीचा दिखाने का प्रयास किया गया है। मंत्रालय की ओर से जारी नोटिस में ट्विटर इंडिया को 5 दिनों के भीतर अपना ज़वाब दायर करना होगा। कारण बताओं नोटिस (Show cause notice) में ट्विटर से पूछा गया है कि- भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता को अपमानित करने के लिए ट्विटर और उसके प्रशासनिक अधिकारियों पर कानूनी शिकंजा क्यों ना कसा जाये? अगर ट्विटर की ओर से 5 दिनों की भीतर वाज़िब ज़वाब दाखिल नहीं किया जाता है तो उसके खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 ए निलंबन/प्रतिबंध लगाया जा सकता है। साथ ही इस मामले पर आपराधिक मुकदमा भी चलाया जा सकता है, जिसमें 6 महीने की जेल के प्रावधान है।