West Bengal Election पर मंडराया खतरा, अलकायदा के निशाने पर कई नेता

न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): पश्चिम बंगाल में चुनावों (West Bengal Election) की आहट के साथ प्रदेश में खून-खराबे का दौर लगातार बढ़ रहा है। निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना चुनाव आयोग और सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के खुलासे ने गृह मंत्रालय और सुरक्षा बलों (Ministry of Home Affairs and Security Forces) के लिए और ज़्यादा चुनौती बढ़ा दी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने खुलासा किया है कि- कराची और पेशावर (Karachi and Peshawar) में आंतकी संगठन अलकायदा ने नयी भर्ती के लिए ऑनलाइन सेंटर खोला है। जिसकी मदद से अलकायदा पश्चिम बंगाल के कई जिलों में स्लीपर सेल बनाकर अपने नेटवर्क को विस्तार देगा।

एनआईए ने हाल ही में कर्नाटक, केरल (कासरगोड़) और मुर्शिदाबाद आंतकियों की गिरफ्तारी की है। जिनसे हुई पूछताछ में ये खुलासा हुआ है। आंतकियों ने बताया कि- अलकायदा बेहद व्यवस्थित ढंग से इस काम को अन्ज़ाम दे रहा है। बंगाल के स्थानीय युवाओं को भर्ती करके वो कई नेताओं पर हमला कराने की योजना पर काम कर रहा है। मुर्शिदाबाद और मालदा (Murshidabad and Malda) के कई युवाओं का ब्रेन-वॉश कर उन्हें आतंकी संगठन का हिस्सा बनाया गया। नयी आंतकियों में ज्यादातर युवा गरीब तबके के है। इनमें से कुछ सर्विलांस पर रखा गया। इसके साथ ही उत्तर 24 परगना में भी इसी कवायद को अन्ज़ाम दिया जा रहा है। बंगाल और केरल के स्लीपर सेल आपसी तालमेल बनाकर हथियार, पैसे और सूचनायें एक दूसरे को मुहैया करवाते है।

बंगाल में आंतक फैलाने के लिए अलकायदा काठमांडू और बांग्लादेश के ज़मीनी रूट्स का इस्तेमाल कर रहा है। स्लीपर सेल को बढ़ावा देने के लिए लगातार विदेशी फडिंग की जा रही है। जिसके लिए सऊदी अरब से पैसे हवाला के जरिये मंगवाये जा रहे है। अलकायदा का बंगाल मॉड्यूल और स्लीपर सेल (Al Qaeda’s Bengal Module and Sleeper Cell) दोनों मिलकर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में बड़े वारदात को अन्ज़ाम देने की फिराक में है। जिसके लिए नेताओं की निशानदेही कर ली गयी है।

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था और राजनीतिक हिंसा ज्यादा अस्थिरता पैदा करते है। ऐसे माहौल के बीच अलकायदा आसानी से किसी बड़ी वारदात को अन्ज़ाम दे सकता है। जिसके लिए उसे ज़्यादा बड़ी योजना की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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