न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) हर उसका काम को अन्ज़ाम देता है, जिस पर भारत सख्त आपत्ति दर्ज करवाता आया है। इस्लामाबाद में तकरीबन हर अन्तर्राष्ट्रीय मंचों (जैसे सुरक्षा परिषद, एससीओ) पर बहुपक्षीय मुद्दों को छोड़कर कश्मीर का राग अलापता आया है। हाल ही में पाकिस्तानी हुक्मरानों ने स्वायत्त पूर्ण क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान में विधानसभा चुनावों की कवायद शुरू कर दी। जिस पर नई दिल्ली कूटनीतिक आपत्ति (Diplomatic objection) दर्ज करवाता आया है। आज हो रहे इन चुनावों में पाकिस्तानी सत्ता नायकों ने कानूनी बाध्यताओं और अन्तर्राष्ट्रीय दबावों (Legal Constraints and International Pressures) को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है।
द डॉन के मुताबिक इन विधानसभा चुनावों के दौरान 23 विधानसभा सीटों के लिए कुल 745,361 मतदाता मतदान करेंगे। जिसके लिए 1,141 मतदान केंद्रों की व्यवस्था की गयी है। इनमें से सुरक्षा के लिहाज से 577 मतदान केन्द्रों को संवेदनशील और 297 को अति संवेदनशील घोषित किया गया हैं। चुनावों में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के लिए 15,900 सशस्त्र ज़वानों की तैनाती की गयी। पंजाब, केपीके, सिंध और बलूचिस्तान (Baluchistan) से अतिरिक्त सुरक्षा बलों की रवानगी कर दी गयी है। जिन्होनें गिलगित-बाल्टिस्तान के चुनावी इलाकों में मोर्चा संभाल लिया है। ये चुनाव 330 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेगें।
मतदान की प्रक्रिया आज सुबह 8 बजे शुरू हो चुकी है, और ये शाम 5 बजे तक जारी रहेगी। इन चुनावों के लिए गैलप और पल्स कंसल्टेंट ने ऑपिनियन पोल किया। जिसके नतीज़े बताते है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुवाई वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (Pakistan People’s Party) के बीच करीबी मुकाबला होने वाला है, जबकि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के तीसरे पायदान पर काब़िज रहने के आसार है। जमीयत-ए-उलेमा इस्लाम, जमात-ए-इस्लामी, और मजलिस वहीद-ए-मुसलमीन (Majlis Waheed-e-Muslimeen) जैसी पॉलिटिकल पार्टियां भी गिलगित-बाल्टिस्तान के विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रही है। इस दौरान 30 प्रतिशत मतदाताओं का मानना है कि इन चुनावों में पारदर्शी कायम रहेगी।
बेरोजगारी, सड़कों निर्माण, बिजली और स्वच्छ पानी की आपूर्ति इन चुनावों के मुख्य मुद्दे हैं। इमरान खान सरकार ने पहले कई बार इस क्षेत्र को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने का ऐलान किया था। ये दर्जा गिलगित-बाल्टिस्तान के ज़्यादातर लोगों को पहले हासिल नहीं था। इस इलाके के लोगों ने इस्लामाबाद के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को शेष पाकिस्तान के साथ एकीकृत करने के फैसले के खिलाफ खासा नाराज़गी जाहिर की थी। गिलगित-बाल्टिस्तान को औपचारिक रूप से संघीय प्रशासित उत्तरी क्षेत्र (Federally Administered Northern Territory) के तौर पर जाना जाता है। ये एक अलग शासन और चुनावी ढांचे वाला स्वायत्त क्षेत्र है।