हे सूर्य (Sun of Chhath Puja), हमने अपने धर्म और शास्त्रों में बताए असंख्य देवियों और देवताओं को नहीं देखा। अपने जीवन में उनकी उपस्थिति कभी महसूस नहीं की। उनकी कथाएं भर सुनी हैं। उनमें से एक आप ही हैं जो सदा हमारी आंखों के आगे हैं। उदय होकर भी और अस्त होकर भी। हमें आपका देवत्व (Divinity) स्वीकार करने के लिए किसी तर्क या प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। हमारी यह ममतामयी पृथ्वी आप से ही जन्मी है। यहां जो भी जीवन है, नमी है, उर्वरता है, हरीतिमा है, सौंदर्य है – वह आपकी ही देन हैं। आप न होते तो न यह पृथ्वी संभव थी, न पृथ्वी का अपार सौन्दर्य और न यहां असंख्य रूपों में मौजूद जीवन। चांद का सौंदर्य और शीतलता भी आपकी अग्नि से ही है। आपके इन अनगिनत उपकारों के बदले हम आपको कुछ दे तो नहीं सकते, छठ के इन चार पवित्र दिनों में अपने तन-मन को शुद्ध कर आपके अस्ताचलगामी और उदीयमान दोनों रूपों को हम श्रद्धा के अर्घ्य समर्पित करेंगे। आपके ही दिए फल-फूल, कंद-मूल, अन्न-जल-दूध से। हमारी श्रद्धा और प्रार्थना स्वीकार करें ! हमें प्रकाश दें, ऊर्जा दें, जीवन दें, उर्वरता (Fertility) दें, स्वास्थ दें, हरियाली दें, अन्न-फल-फूल दें, बादल दें, वर्षा दें, नदियां दें ! यह बल-विवेक दें कि हम आपकी रची हुई इस पृथ्वी और इसकी प्रकृति का सम्मान और संरक्षण ही नहीं कर सकें,अपनी संतानों के लिए इन्हें कुछ और बेहतर बनाकर भी जाएं !
मित्रों को आज से आरंभ हो रहे सूर्य के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन के चार-दिवसीय लोकपर्व छठ की शुभकामनाएं !