इस आदमी ने अपने वतन का सौदा दहशतगर्दों से किया और सिख धर्म की पवित्रता पर काला स्याह धब्बा लगा दिया। सिख समुदाय के लोगों को सामने आना चाहिए और इसके सिर पर सज़ी हुई पगड़ी उतार लेनी चाहिए क्योंकि ये शख्स इसका हक़दार नहीं है। इसे तो सरेआम गोलीमार देनी चाहिए। क्या व्यवस्था और धर्म के कथित ठेकेदारों में इतनी हिम्मत है कि, वो ये कर सके ? इस तरह की खून चूसने वाले जोंक लोकतन्त्र की विविधता और विश्वसनीयता पर स्याह धब्बे लगाने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है। याद रहे राष्ट्र सर्वप्रथम और अहम है।