मोबाइल के मामले में तो बहुत पहले से लागू है पोर्टेबिलिटी प्रोग्राम (Portability Programme), एक कंपनी से अपना नंबर शिफ्ट करके दूसरी कंपनी की तरफ ले जा सकते हैं। अब महापुरुषों में ही ऐसा होने लगा है। कांग्रेस नेता सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel) का जन्मदिन जितनी ऐतिहासिक धूमधाम से भाजपा सरकार ने मनाया, उतना तो कांग्रेस ने भी कभी ना मनाया। महापुरुष पोर्टिबिलिटी चल रही है। वहां के महापुरुष इधर दिखायी पड़ रहे हैं। वक्त आ गया है कि तमाम राजनीतिक दल इस बारे में आपस में मिलबैठकर एक पोर्टिबिलिटी संहिता, महापुरुष एक्सचेंज स्कीम (Great man Exchange scheme) बना लें, वरना इस किस्म के बवाल-सवाल उठना शुरु हो जायेंगे कि हमारे महापुरुष तो तुम ले गये थे, अपने महापुरुष तुमने ना दिये हमको।
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) इस मुल्क सबसे ज्यादा फ्री पोर्टेबल महापुरुष हैं। कोई भी उन्हे उठा कर ले जाता है, लगभग हर पार्टी के उचक्के तक गांधी को अपने संग घसीटे रहते हैं। महापुरुष मरकर एकदम फ्री पोर्टेबल हो जाता है। महात्मा गांधी जीते-जी जिन चोरों की सूरत तक देखने से इनकार कर देते, वो ही चोर अब महात्माजी का नाम दिन में बीस बार लेते हैं। जिंदा महापुरुष एकाध पार्टी के काम आता है, मरने के बाद महापुरुष सबकी संपदा हो जाता है, चोरों की तो खास तौर पर।
महापुरुष पोर्टेबिलिटी प्रोग्राम पर मेरी बात एक ऐसी पार्टी के नेता से हो रही थी, जिनके यहां सिर्फ मारपीटबाज, अपहरणकर्ता, भ्रष्ट ही हैं।
मैंने उनसे पूछा कि आपके यहां कौन से महापुरुष जायेंगे पोर्टेबल होकर।
वह बोले- अब तो हमारी पार्टी के नेताओं की पोर्टेबिलिटी का ही जमाना है। हमारे नेता ही आज के दौर पर रिजल्ट दिलवा सकते हैं।
बात यह भी पूरी गलत नहीं थी।
इंडियन नेता बहुत क्रियेटिव हैं। वो वक्त-जरुरत पर विदेशों के महापुरुष भी पोर्टेबल कर सकते हैं, साफ्टवेयर इंजीनियरों के वोट लेने के लिए कोई नेता कह सकता है कि अपनी सैटिंग डोनाल्ड ट्रंप से भी है और बाइडेन से भी,चाहे जो बने यूएस प्रेसीडेंट, मैं यूएस वीजा आसानी से दिलवा दूंगा।
हिलेरी-बाइडेन चाहें तो पूछ सकते हैं कि ऐसे कैसे दिलवा दोगे यूएस वीजा।
जैसे बरसों से बिजली, पानी, चिकनगुनिया-डेंगू मुक्त वातावरण दिलवा रहे हैं-इंडियन नेता यह तो कह ही सकता है।
साभार- आलोक पुराणिक