न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): भारतीय सेना (Indian Army) को चीन और पाकिस्तान से लगातार सामरिक चुनौतियां मिल रही है। ऐसे में सेना लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रही है। जिसके तहत भारत ने साल 2020 के दौरान कई बड़े हथियार हासिल किये, साथ ही डीआरडीओ (DRDO) ने नये हथियारों को भी विकसित किया। इसी मोर्चे पर भारत को हाल ही में दो कामयाबियां हासिल हुई। रूस के सहयोग से विकसित सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के जमीनी संस्करण का सफल परीक्षण किया गया। दूसरी ओर स्वदेशी तकनीक से विकसित एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम-1 को सुखोई-30 एमकेआइ लड़ाकू विमान से सफलतापूर्वक दागा गया।
गौरतलब है कि ब्रह्मोस के कई संस्करणों (हवाई और नेवल) का सफलतापूर्वक परीक्षण हो चुका है। हाल में किया गया ये परीक्षण जमीनी प्लेटफॉर्म्स से आजमाया गया है। जिसके हर पैमाने पर ब्रह्मोस कामयाब मिली। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के एक टारगेट को नेस्तनाबूत करके, इसने अपनी कारगर ताकत को साबित कर दिया। इसके साथ ही भारत की सामरिक क्षमता (Strategic ability) में काफी इज़ाफा हुआ है। बीते तीन से चार महीने के दौरान भारत ने लगातार इतने हथियारों के परीक्षण एक साथ कर लिये है। जो कि अमूमन एक साल में हुआ करते थे। इन कवायदों की मदद से भारत, चीन और पाकिस्तान पर मनोवैज्ञानिक बढ़त (Psychological edge) बना रहा है।
ओडिशा के बालासोर में एकीकृत परीक्षण रेंज से रुद्रम-1 मिसाइल ने पूरी सटीकता के साथ अपनी काबिलियत दिखाई। जिसमें भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 एमकेआइ लड़ाकू विमान ने हिस्सा लिया। गौरतलब है कि रुद्रम-1 भारत की पहली मिसाइल है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक वॉर फेयर के लिए इस्तेमाल किया जा सके। इसे रेडियेशन और इलेक्ट्रॉनिक वॉर फेयर के लिए खासतौर से डिजाइन किया गया है। एंटी रेडिएशन मिसाइल (Anti radiation missile) बनाने की खास तकनीक विश्व में कुछ खास देशों के पास ही है। रूद्रम-1 के सफल परीक्षण के साथ भारत एंटी रेडिएशन मिसाइल क्लब में अमेरिका, रूस एवं जर्मनी के साथ शामिल हो गया है।
रूद्रम-1 का सफल परीक्षण साल 2017 के दौरान किया गया था। कई तकनीकी बदलावों और एवियोनिक्स अपग्रेडेशन (Avionics upgrade) करने के कारण इसमें काफी समय लग रहा था। पाकिस्तान और चीन से मिल रही चुनौतियों के बीच इसे विकसित करने के कार्यक्रम में काफी तेज लायी गयी। जिसमें भारतीय वायुसेना ने अपनी काफी दिलचस्पी दिखाई। इसका मुख्य का काम दुश्मन की आंखों में धूल झोंकने का है। इसके इस्तेमाल से दुश्मन के एडवांस सर्विलांस सिस्टम, एयर डिफेंस कवच, ट्रैकिंग-एगेंजमेंट और कम्युनिकेशन सिस्टम को नाकाम किया जा सकेगा। इसे किसी भी मौसम में सुखोई-30 एमकेआइ की मदद से दागा जा सकता है। आगे इसकी मारक क्षमताओं में और भी इज़ाफा किया जा सकता है। सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के जमीनी संस्करण और रूद्रम-1 ने अपनी धमक से दुश्मनों की धड़कनों बढ़ा दी है। जिससे सैन्य बलों का हौंसला सातवें आसमान पर पहुँचेगा।