इस्लामाबाद (एजेंसियां): इमरान खान (Imran Khan) की अगुवाई वाले सत्ता प्रतिष्ठान का खोखलापन लगातार सामने आता जा रहा है। धीरे-धीरे पूरा पाकिस्तान टूट के कगार की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। बेरोजगार, मंहगाई और दहशतगर्दी के कारण पाकिस्तानी आवाम सहित पूरा विपक्ष पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लामबंद होता दिख रहा है। इसी फेहरिस्त में गिलगिट-बाल्टिस्तान में रोष की लहर देखी गयी। गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) में हुए विधानसभा चुनावों में कथित धांधली के मद्देनज़र कई प्रदर्शनकारियों ने अपने गुस्से का इज़हार किया। इन प्रदर्शनों में आगजनी, पत्थरबाज़ी और नारेबाज़ी जमकर हुई।
इन चुनावों में इमरान खान की अगुवाई वाली तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने कुल 23 विधानसभा सीटों में से ज़्यादातर सीटों पर जीत दर्ज की। जिसे लेकर विपक्षी पार्टियां काफी मुखर हो गयी, साथ ही उन्होनें पूरी चुनावी प्रक्रिया अस्पष्ट और धांधली भरा करार दिया। इसी मुद्दे को लेकर पाकिस्तान की मुख्य विपक्षी पार्टियों ने विरोध प्रदर्शन का आवाह्न किया। जिसमें कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने हिस्सा लिया। इन लोगों की मांग है कि, वे तब तक सड़कों पर डटे रहेगें, जब तक कि उन्हें इस मुद्दे पर स्पष्टता न दिखने लगे। प्रदर्शनकारी इसे राजनीतिक नियन्त्रण के तौर पर देख रहे है। जिसके लिए इमरान सरकार अपनी सत्ता का गलत इस्तेमाल कर रही है।
अन्तर्राष्ट्रीय मामलों को जानकार इस पूरी कवायद को बीजिंग के नियन्त्रण के तहत मान रहे है। इमरान की मंशा इस इलाके में नियन्त्रण कर चीन के निवेश को सुरक्षित करने की है। इस क्षेत्र में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के कारण बीजिंग के बड़े वित्तीय हित जुड़े हुए है। जिसे लेकर वो काफी संजीदा है। इसलिए वो तहरीक-ए-इंसाफ के द्वारा इलाके में प्रशासनिक नियन्त्रण बनाना चाहता है। गिलगित बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत (Interim Province) का दर्जा देने के पीछे यहीं अहम वज़ह है।
पाकिस्तान की दो बड़ी विपक्षी पार्टियां पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) खुलकर चुनावी धांधली की बात कह रहे है। फिलहाल इस विवादित चुनाव में जीतने वाले दल के नाम का औपचारिक ऐलान करना बाकी रह गया है। बीते रविवार को हुए मतदानों में ये इशारा साफ मिल गया था कि, तहरीक-ए-इंसाफ 23 में से 10 विधानसभा सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है। भले ही पाकिस्तान की आम जनता और विपक्षी पार्टियां इसे इमरान खान की चाल के तौर पर देख रहे हो, लेकिन असलियत तो ये है कि इन चुनावों में हुए धांधली की असली पटकथा चीन में लिखी गयी।