मुझे Politics में कोई इंटरेस्ट नहीं है…..
मैंने एक चूहे की कहानी पढ़ी है जो बिल्ली को देखकर आँखे बंद कर लेता था और सोचता था कि बिल्ली गायब हो गयी है! हकीकत में बिल्ली कहीं नहीं गयी होती थी! उलटे आंखें बंद कर लेने से बिल्ली का काम आसान हो गया था!
हमारे आपके बीच में कई ऐसे लोग हैं जो अक्सर ये कहते रहते हैं कि उन्हें पॉलिटिक्स में कोई इंटरेस्ट नहीं है! लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि ऐसा करने से उनकी दशा उसी चूहे की हो जाती है, जिसका जिक्र मैंने ऊपर किया है!
आपको बेशक न इंटरेस्ट हो न हो…लेकिन राजनीति को आपमें बहुत इंटरेस्ट है!
इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा कि एक नवजात से लेकर वयस्क (irrespective of Cast, Creed and religion) तक के जीवन को राजनीति किस प्रकार प्रभावित करती है:-
गर्भस्थ शिशु:-
हमारे देश में मतदान का अधिकार 18 साल की आयु में मिलता है! लेकिन एक गर्भस्थ शिशु मतदान के लिए इस दुनिया में आयेगा या नहीं…ये राजनीति ही तय करती है!
वह किस जगह गर्भ में आएगा? झुग्गी झोंपड़ी में या किसी आलीशान 3BHK फ्लैट में? उसका जन्म कहाँ होगा? अस्पताल में या सड़क पर! उसका नाल एक कुशल डॉक्टर काटेगा या गांव में कोई बुढ़िया! जन्म के बाद वह अपनी माँ के साथ रहेगा या बिना माँ का रहेगा….उसे उचित पोषक तत्व मिलेगा या नहीं….ये सब राजनीति तय करती है!
नवजात शिशु:-
एक नवजात शिशु में राजनीति की अजीब दिलचस्पी होती है! आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता, जननी सुरक्षा….ये सब सरकारी योजनाएं इसी स्तर से शुरू होती हैं! उसे कई तरह के टीके लगने हैं! टीके मुफ्त में मिलेंगे या मोटा दाम देना पड़ेगा….. खाने में उसे जो दलिया मिलेगा उसमे कंकड़ रहेगा या नहीं….बीमार होने पर उसे ऑक्सीजन मिलेगा या बेमौत मरेगा….. घर,अस्पताल में उसे मच्छर काटेंगे या कुत्ते नोचेंगे….राजनीति ये सबकुछ तय करती है!
5-10 साल तक की उम्र के बच्चे….
बच्चा स्वस्थ है! हृष्टपुष्ट है! खेलकूद में माहिर है! वह स्कूल जाना चाहता है! अब बच्चे का स्कूल कैसा होगा? टाट का या कंक्रीट का? उसमे टॉयलेट होगा या नहीं? क्लासरूम हाईटेक होंगे या सिर्फ ब्लैकबोर्ड होगा? बेंच पर बैठेगा या जमीन पर? मिड डे मील का स्तर क्या होगा? जहरीला होगा या पौष्टिक? उसे पढ़ाने वाला मास्टर कुशल होगा या मुखिया की सिफारिश वाला……ये सब भी राजनीति ही तय करती है!
10 साल से ऊपर के बच्चे:-
ये वह उमर है जब बच्चे किशोरावस्था (Adolescence) में प्रवेश करते हैं! मतदान करने की उम्रसीमा की तरफ धीरे धीरे बढ़ने लगते हैं! राजनीति की दखलंदाजी यहाँ और बढ़ जाती है! बच्चे को किस प्रकार की शिक्षा मिलेगी? उनका भविष्य सुनहरा होगा या अंधकारमय….उसे किस प्रकार का माहौल मिलेगा….कोडिंग सीखेगा या तकनीकी संस्थान में जायेगा….किसी लैब में मेंढक चीरेगा या लोगों की जेब काटेगा…..ये सब इसी स्तर पर तय होता है!
(आपने अक्सर सुना होगा कि फलां राज्य ने सायकल मुफ्त बाँट दी तो फलां राज्य ने बैग बांटे! फलां राज्य ने सर्दी के कपड़े बांटे तो फलां राज्य ने लैपटॉप)
18-30 साल की उम्र के नौजवान:-
यह वो दौर है जहाँ राजनीति ये तय करती है कि आपका बच्चा क्या बनेगा? मनरेगा का मजदूर बनेगा या कोई कुशल इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक या सैनिक! किसानी करेगा तो किस प्रकार की करेगा? उसकी उपज कहाँ बिकेगी!! इंजीनियर बनेगा तो कैसा पुल बनायेगा! कितना कुशल शिक्षक बन पाएगा! सैनिक बना तो किस तरफ के दुश्मन की गोली का शिकार होगा!
इन सबसे इतर…. इंसान बनेगा तो कैसा इंसान बनेगा? देश-समाज की भलाई करेगा या जेलों में जाकर जनता पर बोझ बनेगा….ये सब राजनीति तय करती है!
इन सबके अलावा राजनीति ही ये तय करती है कि आपको किस प्रकार की सुविधाएं दी जाएंगी? आपके किचन में क्या पकेगा? केमिकल से भरपूर सब्जियां पकेंगी या ऑर्गेनिक? अनाज,फल, नमक, मसाले, तेल, गुड़, चीनी की गुणवत्ता क्या होगी? उनमें कीटनाशक की मात्रा होगी या नहीं? किसान कर्ज के बोझ तले दबकर मरेगा या अपना प्रोडक्ट बेचकर आबाद हो जायेगा!
रेल, सड़क, पुल, तालाब, नदियों की गुणवत्ता भी राजनीति ही तय करती है! सड़कों के किनारे छायादार पेड़ होंगे या टोल बूथ! आप उनपर चलें या दब कर मारे जायें….आप पैदल चलें या किसी सवारी से….आपके पास साइकिल है या मर्सिडीज….ये सब राजनीति तय करती है!
आपके घर का एरिया कितना होगा? उसमे कौन कौन सी सुविधाएँ होंगी? साफ़ पानी होगा या नहीं! बिजली कितने घण्टे और किस रेट पर मिलेगी? कमरे में पंखा चलेगा या AC….. बल्ब किस क्वालिटी का होगा…..ये सब राजनीति तय करती है!
ये तो हो गयी रोजमर्रा की बात! अब कुछ सामान्य बातों पर गौर कर लेते हैं!
आप अगर गौर से देखेंगे तो आपको समझ आयेगा कि आपका जीवन मरण सब राजनीति तय करती है! आप आलीशान जीवन जियेंगे या सामान्य! फुटपाथ पर भीख मांगते जीवन बीतेगा या सर उठाकर अंतरिक्ष की सैर करेंगे! शांतिपूर्ण जीवन बिताएंगे या दंगों में आपका घर जलेगा! आपके घर का सैनिक पेंशन भोगेगा या दुश्मनों की गोली से शहीद होगा! आपके घर की बेटी बड़ी होकर डॉक्टर बनेगी या डॉक्टर बनने के बाद दरिंदों की हवस का शिकार होगी! मरने के बाद आपके मृत शरीर का अंतिम संस्कार (Dead body cremation) किया जायेगा या उसे कुत्ते नोंच कर खाएंगे! ….और तो और….अंतिम संस्कार के लिए आपका शरीर आपके परिजनों को मिलेगा भी या नहीं ये भी राजनीति ही तय करती है!
होश सँभालते ही आपको सिखाया जाता है कि सड़क के बायीं तरफ चलना है! इसे भी राजनीति ने ही तय किया है!
पिछले नौ महीने से देश अपनी जमापूंजी खा रहा है उसे भी राजनीति ने ही तय किया है!
पिछले तीन महीनों से सभी लोग 80₹/किलो प्याज, 65₹/किलो आलू, 80₹/किलो मटर खा रहे हैं न? ये भी पॉलिटिक्स की ही देन है!
आप मत रखिये पॉलिटिक्स में इंटरेस्ट!
शहीद जवान को भावभीनी श्रद्धांजलि के साथ….
साभार – कपिल देव