दिल्ली (Delhi) अद्भुत जगह है, इतिहास से वर्तमान तक देखें, तो अफगान, पिंडारी, लुटेरे, ठग, कोरोना से लेकर पराली के धुएं ने दिल्लीवासियों की जान हलकान कर रखी है। तो छोड़िये, कहीं और निकलिये। कहीं भी निकलिये, देर सबेर हर शहर को दिल्ली गति को प्राप्त होना है। लड़ती हुई सरकारें, ठप विकास, खाली खजाना, भरी नालियां-देस मेरा रंगरेज बाबू, घाट घाट पर घटता जादू। कोरोना मार मचा रहा है। इस पर फिलहाल चिंता है, दो तीन महीनों में कोरोना से मौत भी नार्मल मौत ही मानी जायेंगी। फिर नयी वजहें आ जायेंगी। अभी एक खबर थी कि दिल्ली के कूड़े के पहाड़ में आग लग गयी। लोग इस चक्कर में अस्पताल में दाखिल हो गये।
पुरानी वजहों से मौत यानी नार्मल मौत। डेंगू, चिकनगुनिया (Chikungunya), मलेरिया से मरे बंदे तो स्थिति सामान्य बतायी जा सकती है। पर कूड़े धुएं से मरे लोग तो कुछ समय तक स्थिति असामान्य बतायी जायेगी, फिर हम उसके आदी हो जायेंगे। समस्या धुआं नहीं है, समस्या बस यह है कि अभी हम आदी ना हो पाये हैं धुएं हैं। डेंगू के आदी हो गये, डिप्थीरिया के आदी हो गये। बीमारियां सरकारी विभागों को बजट देती हैं और आम आदमी को मौत। बजट की मौज लेनी हो तो सरकार में होना चाहिए। बंदा आम है, तो मौत खुद ब खुद आ जायेगी।
कूड़े का पहाड़ है दिल्ली में विकट ऊंचाई वाला। जल्दी ही यह कुतुबमीनार की ऊंचाई को पार करके एवरेस्ट (Everest) की ऊंचाई हासिल करेगा। यह नार्मल है बरसों से बन रहा है। कूड़े के पहाड़ से ज्यादा ऊंचे उन बयानों के गठ्ठर हैं, जो कूड़े के पहाड़ पर दिये जा रहे हैं। दिल्ली में पीएम हैं, सीएम हैं और परम बलशाली नेता हैं। पर कूड़े के पहाड़ का कुछ ना बिगड़ रहा है। कूड़ा सबसे ज्यादा पावरफुल है, उसके पहाड़ का कोई भी कुछ नहीं कर सकता।
रोज नये आंकड़े आ रहे हैं कि प्रदूषण का स्तर 2.5 पीएम या 3.5 पीएम। कितने भी पीएम, कितने ही सीएम आ जाओ. दिल्ली में कूड़ा-प्रदूषण-धुआं ही परम पीएम है। सबसे ऊपर कूड़ा ही है।
पर कुल मिलाकर कोरोना मौतें भी नार्मल गति को प्राप्त हो गयी हैं। दिल्ली के प्रदूषण के चलते तमाम सिगरेट कंपनियां परेशान हैं, चालीस सिगरेटों का तो फ्री आफर चल रहा है दिल्ली में। बंदा इतना धुआं अंदर कर लेता है रोज कि चालीस सिगरेटें मुफ्त में पड़ रही हैं। यूं हो सकता है कि दिल्ली में सिगरेट कंपनियां धुएं की ब्रांडिंग कर लें। उधर का धुआं गोल्ड फ्लेकवालों का, इधर का धुआं चारमीनार वालों का, सिगरेट कंपनियां वसूली शुरु कर दें। फोकटी की सिगरेट पीये जा रहे हैं दिल्ली के लोग। सिगरेट कंपनियों के लिए सबसे कष्ट की बात यही है कि मुफ्त में सिगरेट कैसे पीये जा रहे हैं दिल्ली के लोग। जिस लेवल की बीमारियों के लिए लोग कई हजार खर्च करते हैं, दिल्लीवाले मुफ्त में हासिल कर रहे हैं। मतलब एक तरह से तो यह मुफ्तखोरी ही है। मल्टीनेशनल कंपनी आकर बताये हमारा वाला धुआं मार्लबोरो ब्रांड का धुआं है, एकदम खास।
धुएं, प्रदूषण का जो स्तर होता जा रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि कुछ महीनों बाद एलियन लोग दिल्ली आया करेंगे यह देखने कि दिल्ली के लोग जीते कैसे हैं। सांस लेने के लिए आक्सीजन की जरुरत होती है यहां के लोग धुएं को आक्सीजन समझते हैं, कैसे कैसे। दिल्ली वाले परम एलियन हैं।
साभार – आलोक पुराणिक