कल बिहार में सदन (Bihar assembly) का आखिरी दिन था। सत्ता पक्ष कोई तार्किक बात करने के बजाए बार-बार लालू यादव (Lalu Yadav) व राजद को निशाने पर ले रहा था। सदन में उपस्थित राबड़ी देवी (Rabri Devi) विपक्षी नेता ही नही बल्कि लालू जी की अर्धांगिनी के रूप में सब सुन रहीं थीं। जब उनके बोलने का नंबर आया और वे बोलीं तो सबको सांप सूंघ गया। लालू यादव के फोन मामले पर वे गरजीं, यहां कितने लोग हैं जो जेल में रहकर फोन पर बात करते रहे हैं। मुझे सब पता है, ये कहते हुए उन्होंने कुछ लोगो की ओर देखा भी लेकिन किसी की हिम्मत न पड़ी और वह इसे गलत साबित न कर सके।
उन्होंने अपनी शिक्षा पर उठे सवाल के जवाब में कहा कि वह गांव की है। जहां तब स्कूल नही होते थे। अगर तेजस्वी की मां अनपढ़ है तो सदन में बैठे कितने लोगों के नाम बताऊँ जिनकी मां भी अनपढ़ हैं। उनके कामों का मूल्यांकन सरकारी फाइलों से हो, न कि उनकी शिक्षा से।
अंत मे भ्रस्टाचार के आरोपों पर उन्होंने कहा कि चारा घोटाला 1990 के पहले 1976 से चल रहा था, जिसकी जांच के आदेश और एफआईआर लालूजी ने करवाया, मगर क्या कारण है कि उससे संबंधी सभी लोग बरी हो गए। तमाम को जमानत मिल गई, लेकिन लालूजी जेल में हैं। फिर उन्होंने कहा कि वे इसलिए जेल में हैं, क्योंकि लालू जी ने गरीबों को आवाज़ और बड़े लोगो के मुकाबले बराबरी की जगह दी। यह सामन्तवादियों से सहन न हुआ।
अंत मे उन्होंने सुशील मोदी का नाम ले कर कहा कि उनके दर्जनों मकानों ज़मीनों की फाइलें सरकार के पास हैं। इसे सब जानते हैं। यहां तक कि रविवार को ऑफिस खुलवा कर उन्होंने रजिस्ट्री कराई। इसके अभिलेख सरकार के पास है। इस पर सुशील मोदी सदन में राह कर भी प्रतिवाद न कर सके और खिसिया कर केवल इतना कह सके कि आप उन संपत्तियों का नाम बता दें तो वह आपको दे देंगे। जवाब में राबड़ी जी ने उन मकानों के पते भी बता दिए। उनके इस जवाब से पूरा सदन सन्नाटे में आ गया।
अब सवाल है कि एक पूर्व सीएम ने सदन में इतने ठोस आरोप लगातीं है फिर भी बिकाऊं मीडिया ने इसे खबर नही बनाया। गोदी मीडिया तो इस समय किसानों को खालिस्तानी बताने पर तुला हुआ है। मतलब राबड़ी जी का कथन से साफ है कि लालू यादव इसीलिए जेल में हैं कि उन्होंनेने गरीब को इंसाफ और सामाजिक न्याय दिलाया। फलतः सामंतवादी ताकतों को यही बात पसंद नहीं आई, वे इसी की कीमत चुका रहे हैं।
साभार – नज़र मालिक