न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच इसकी वैक्सीन (Corona Vaccine) को लेकर रोज नये खुलासे हो रहे है। कई फॉर्मास्यूटिकल कंपनियां अपनी इजाद की गयी या संभावित रूप से तैयार हो रही वैक्सीन के बारे में तरह तरह के दावे कर रहे है। जिनमें से खास तौर से वैक्सीन की कारगर क्षमता को लेकर है। वैक्सीन ईजाद करने के मामले में गैमिलिया इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-5 (Russian Vaccine Sputnik-5 developed by Gamilia Institute) ने 95 फीसदी कारगर क्षमता के साथ बाज़ी मारी है। अब इस दौड़ में अमेरिकी दवा कंपनी माडर्ना ने दावा किया है कि उसकी वैक्सीन सौ फीसदी कारगर क्षमता रखती है। वैक्सीन की कारगर क्षमता को लेकर खुलासे उत्पादक कंपनी के शेयर मार्केट को खासा प्रभावित करते है। जिससे वैक्सीन निर्माण में जुड़ी कंपनियों को शेयर्स में काफी उछाल देखा जा रहा है।
अब बात मॉर्डना कंपनी की, उसकी वैक्सीन 100 फीसदी कारगर है। जिससे उसे नेस्डैक में लिस्टिड शेयर को काफी मुनाफा पहुँचा। अब मॉर्डना जल्द ही FDA से अमेरिका और यूरोप में इमरर्जेंसी इस्तेमाल के लिए इज़ाजत मांगने जा रही है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (U.S. Food and Drug Administration-FDA) से औपचारिक अनुमति मांगने के साथ मॉर्डना इस साल के आखिर तक दो करोड़ डोज और साल 2021 के आखिर तक पचास करोड़ से लेकर एक अरब वैक्सीन की खुराकें उत्पादित करेगा। मॉडर्ना के सिलसिलेवार ट्रायल्स में 30 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया था। जिसके तहत वैक्सीन पहले 94.1 फीसदी और 16 नवंबर तक 94.5 फीसदी प्रभावी पायी गयी थी। जिसे अब ताज़ा दावे में 100 कारगर माना जा रहा है।
कंपनी के खुलासे से दुनिया भर में कुछ चुनौतियों के साथ उम्मीदें बढ़ी है। मुख्य चुनौती लॉजिस्टिक चैन, ट्रांसपोर्टेशन और कोल्ड चैन तैयार करने की है। कड़े प्रतिस्पर्धात्मक माहौल के बीच फाइज़र 10 दिसम्बर को और मॉर्डना 17 दिसम्बर को वैक्सीन की औपचारिक लॉचिंग करेगें। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से आपातकालीन मंजूरी मिलने के बाद 24 से 48 घंटों के भीतर इसके इस्तेमाल के लिए भी मंजूरी मिल सकती है। फाइज़र की वैक्सीन को मॉर्डना के मुकाबले ज़्यादा कम तापमान की जरूरत होती है। ऐसे में मॉर्डना को स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक (Transportation and Logistics) से जुड़ी अपेक्षाकृत कम चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कुल मिलाकर वैक्सीन राष्ट्रवाद की दौड़ में भले ही कोई भी आगे निकल जाये लेकिन विकासशील देशों के लिए वैक्सीन हासिल कर पाना बड़ी चुनौती रहेगा।