नई दिल्ली (विश्वरूप प्रियदर्शी): नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन (Kisaan Andolan) लगातार उग्र होता जा रहा है। किसानों ने धमकी दी है कि, अगर उनकी मांगों को माना ना गया तो दिल्ली की नाकेबंदी की जा सकती है। जिससे दूध, सब़्जी और अन्य जरूरी सामानों की रसद पर असर पड़ सकता है। फिलहाल दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर किसान जमा होते जा रहे है। केन्द्रीय मंत्रियों के एक दल से किसान प्रतिनिधियों बैठक खब़र लिखे जाने तक चल रही है। इसी क्रम में शाम सात बजे भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) टिकैत के किसान नेता को बैठक में शामिल होने के लिए समय दिया गया है। केन्द्र सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तकरीबन 2 घंटे से दिल्ली के विज्ञान में 35 किसान नेताओं से बातचीत कर रहे है।
मामला अब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचता दिख रहा है। अब कनाडाई PM जस्टिन ट्रूडो भी किसानों में आ खड़े हुए है। गुरूपुरब के मौके पर अपना संदेश जारी करते हुए जस्टिन ट्रूडो ने इस मुद्दे पर कहा- जिस तरह से भारत में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को क्रूरता से कुचला जा रहा है, वे बेहद आहत करने वाला है। कई कनाडाई नागरिकों के परिजन वहां मौके पर मौजूद है और मुझे उनकी काफी चिंता है। लोकतांत्रिक परिवेश में शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन का विकल्प सदैव खुला रहता है। इस लोकतांत्रिक अधिकार की रक्षा करने की मैं अपील करता हूँ।
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की बात शिवशेना को नागवार लगी। शिवसेना प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी (Shiv Sena spokesperson Priyanka Chaturvedi) ने ट्विटकर लिखा कि- जस्टिन ट्रूडो जी भारतीय किसानों को लेकर आपकी चिंता जायज है। ये भारत का आंतरिक मामला है। कोई दूसरा देश इस विषय को चारा बनाकर अपनी राजनीति चमकाये ये ठीक नहीं। उन कूटनीतिक शिष्टाचारों का सम्मान करें जो हम सदैव दूसरे देशों तक बढ़ाते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी से गुज़ारिश है कि दूसरे देशों के सामने मुद्दा बनने से पहले इस मसले को हल निकाल लिया जाये।
तेजी से बदलती किसान आंदोलन की तस्वीर के बीच हाल ही में दो नये अपडेट देखने को मिल रहे है। केन्द्र सरकार ने प्रमुख किसान नेताओं, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों और कृषि मामलों के विशेषज्ञों की एक समिति बनाने की पेशकश की है, ताकि मौजूदा गतिरोध पर ठोस हल निकाला जा सके। दूसरी और किसान आंदोलन को और ज्यादा धार देने के लिए महाराष्ट्र के भी कृषक समूहों ने केन्द्र सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि, अगर किसानों की बात नहीं सुनी गयी तो महाराष्ट्र से भी किसानों का समूह दिल्ली की ओर मार्च करेगा। महाराष्ट्र के किसान अगर दिल्ली की ओर रूख़ करते है तो मोदी सरकार के लिए और ज़्यादा मुश्किलों बढ़ना तय हो जायेगा।