नई दिल्ली (शौर्य यादव): दिल्ली-एनसीआर बॉर्डर पर डटे किसान अब अपने विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) को नयी धार दे सकते है। जिसकी वजह से राजधानीवासियों की रोजमर्रा की ज़िन्दगी पर बड़ा असर पड़ सकता है। खासतौर उन लोगों पर जो रोजाना दिल्ली से गाजियाबाद, साहिबाबाद, नोएडा, ग्रेटर- नोएडा, गुरूग्राम और फरीदाबाद आवागमन करते है। 3 केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर दिल्ली-यूपी-हरियाणा हज़ारों किसान लगातार 9 दिनों से डटे हुए है। बॉर्डर पर भारी सुरक्षाबलों की तैनाती (Deployment of security forces) के साथ कई जगह अन्तर्राज्यीय सीमाओं (Inter state border) को सील कर दिया गया है।
आज किसान प्रतिनिधियों और केन्द्र सरकार के मंत्रियों के बीच बैठक का पांचवा दौर चलेगा। किसान समूह पहले से ही मन बना चुके है कि MSP के क्रियान्वयन से नीचे कोई बात नहीं होगी। केन्द्र की ओर से प्रस्तावित किसी भी बीच के रास्ते और संशोधन पर किसानों की ओर से आम सहमति की कोई गुंजाइश नहीं है। नए कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान संगठनों की ओर से 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान कर दिया गया है।
नोएडा-दिल्ली सीमा पर बैठे किसानों ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि, अगर आज की बैठक में कोई ठोस नतीज़ा नहीं निकलता है तो, वे सभी संसद भवन का घेराव करेगें। इसके साथ ही सिंघू बॉर्डर पर डटे पंजाब से आये किसानों ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अगर किसानों की मांगे पूरी नहीं होती है तो सभी किसान 26 जनवरी तक अपना विरोध-प्रदर्शन कायम रखेगें साथ सभी सामूहिक रूप से गणतन्त्र दिवस की परेड में हिस्सा भी लेगें। सिंघू बॉर्डर पर कई किसान संगठनों को लगातार रसद और दवाइयों की आपूर्ति की जा रही है।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के अल्टीमेटम के कारण फिलहाल राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर गाजीपुर बॉर्डर सील कर दिया गया है। एहतियतान गाजियाबाद से दिल्ली के लिए ट्रैफिक को रोक दिया गया है। तकरीबन सभी किसान संगठनों ने दावा किया है कि तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने के बाद ही किसानों की ओर से उपजा गतिरोध समाप्त किया जायेगा। किसान नेता हरिंदर सिंह लखोवाल (Farmer leader Harinder Singh Lakhowal) ने दावा किया कि बीते गुरूवार को हुई बैठक में सरकार हमारी कई मांगों से सहमत दिखी, लेकिन हम संसद का विशेष सत्र बुलाकर कृषि कानूनों को वापस लेने की बात अभी भी कायम है।
आगामी रणनीति के तहत आज आंदोलन पर डटे सभी किसान संगठन केन्द्र सरकार और कॉरपोरेट घरानों का पुलता फूंकेंगे। सोमवार 7 दिसंबर को केंद्र सरकार से मिले पुरस्कारों की वापसी कर आंदोलन को और ज्यादा धार दी जायेगी। मंगलवार 8 दिसंबर को राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी (National Lok Dal leader Jayant Chaudhary) की अगुवाई में भारत बंद का आवाह्न किया जायेगा। इसके साथ ही संसद भवन का घेराव और गणतन्त्र दिवस की परेड में शामिल होने के बात कहकर किसानों ने आने वाले दिनों के लिए अपने इरादे साफतौर पर ज़ाहिर कर दिये है।