नई दिल्ली (गौरांग यदुवंशी): अगले साल मार्च महीने में पोप फ्रांसिस (Pope Francis) का इराक दौरा होगा। जो कि कोरोनोवायरस महामारी के बाद से इटली के बाहर उनकी पहली विदेश यात्रा होगी। इसकी आधिकारिक घोषणा वेटिकन प्रेस ऑफिस (Vatican Press Office) ने की है। सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक- वेटिकन में खुद एक बातचीत के दौरान पोप ने बग़दाद के इब्रिल शहर दौरा करने की मंशा जाहिर की थी, जो कि हजरत अब्राहम से जुड़ाव रखता है। इसके साथ ही उन्होनें मोसुल और नीनवे के मैदान क़ारकोश का भी जिक्र किया था। ये संभावित दौर 5-8 मार्च के दौरान हो सकता है।
वेटिकन प्रबन्धन के अनुसार पोप का इराक दौरा और यात्रा कार्यक्रम उचित समय पर आयोजित किया जायेगा। कार्यक्रम के रूपरेखा बनाते समय विश्वव्यापी स्वास्थ्य आपातकाल (Worldwide health emergency) के विस्तार को खास ध्यान रखा जायेगा। इस मामले पर इराकी विदेश मंत्रालय बयान सामने आया, जिसमें कहा गया कि- ये एक ऐतिहासिक क्षण होगा। सभी तबके के इराकी नागारिक पोप के इस दौरे का तहेदिल से स्वागत करते है। पोप के आगमन से पूरे इराक में शांति का संदेश जायेगा। साथ ही कट्टरपंथी ताकतों से जूझ रहे इराकी इलाकों में मानवता और सहिष्णुता के बीज फलेगें। जिससे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना को भी बढ़ावा मिलेगा।
सीएनएन ने वेटिकन न्यूज का हवाला देते हुए कहा कि पोप ने लंबे समय से इराक यात्रा की इच्छा जाहिर करते आये है। कैथोलिक पंथ (Catholicism) को सहायता देने वाली एजेंसियों की बैठक में ये बात सामने निकलकर आयी कि पोप इसी साल इराक का दौरा करना चाहते है। जो कि कोरोना के कारण मुकम्मल ना हो सका। साल 2019 में हुई इस बैठक में पोप ने कहा था कि, मैं लगातार इराक के बारे में सोचता रहता हूँ। जहां मैं अगले साल जाना चाहता हूं। इस उम्मीद में कि अगर धर्म और शांति के सभी तत्व आम आदमी सहित समाज के सभी वर्गों तक पहुँचे तो क्षेत्रीय शक्तियों के टकराव और हिंसात्मक उन्माद के निजात पायी जा सकती है।
इस मौके पर इराकी राष्ट्रपति ने बरहम सलीह ने ट्विट कर लिखा कि- पोप मार्च 2021 में इराक की यात्रा करेंगे। पोप फ्रांसिस की मेसोपोटामिया की यात्रा- सभ्यताओं का उद्गम स्थल, अब्राहम का जन्मस्थान, विश्वासियों का पिता- सभी धर्मों के इराकियों को शांति का संदेश देगा और हमारे सामान्य मूल्यों में सेवाभाव करने के साथ न्याय और गरिमा में वृद्धि करने की पुष्टि करेगा। उन्होनें पोप की यात्रा को सभी धर्मों के इराकियों के लिए शांति का संदेश करार दिया।
सीएनएन के मुताबिक इराक में लगभग 1 प्रतिशत की आबादी क्रिश्चियन समुदाय (Christian community) की है। हाल ही के सालों में वहां से भारी तादाद में ईसाइयों का पलायन देखा गया है। जिसकी अहम वज़ह रहा आईएसआईएस का वजूद जिसके कारण इराक की शांति में भारी अस्थिरता देखी गयी। आतंकवादी गुटों ने 2003 के अमेरिकी आक्रमण के बाद से कई बार चर्चों को निशाना बनाया। जिससे नागरिक अशांति पैदा हुई। महामारी से पहले, पोप फ्रांसिस ने संयुक्त अरब अमीरात सहित कई मुस्लिम-बहुल देशों का दौरा किया। फरवरी 2019 में यूएई की उनकी यात्रा से अरब प्रायद्वीप में पहली दफ़ा किसी पोप के कदम पड़े।