न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली में नए संसद (New Parliament) परिसर के लिए भूमि पूजन समारोह के बाद केंद्रीय मंत्रियों और अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति में परिसर निर्माण का शिलान्यास किया। इस कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla), संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी (Parliamentary Affairs Minister Pralhad Joshi), केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Urban Affairs Minister Hardeep Singh Puri) और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह (Rajya Sabha Deputy Chairman Harivansh Narayan Singh) सहित लगभग 200 मेहमान शामिल हुए।
पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व लोकसभा स्पीकर और सभी राजनीतिक दलों के नेता भी कथित तौर पर इस कार्यक्रम में शामिल हैं। विभिन्न धर्मों के बारह धार्मिक नेताओं ने प्रार्थना समारोह का नेतृत्व किया। सर्वधर्म प्रार्थना समारोह के बाद हरिवंश नारायण सिंह ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के संदेशों को पढ़ा (Vice President Venkaiah Naidu)।
शिलान्यास के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने सिख समुदाय के संस्थापक गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) जी को भी याद किया। प्रधानमंत्री मोदी ने क कहा कि, “गुरु नानक देव जी ने भी कहा है, जब लग दुनिया रहिये नानक, किछु सुनिए, किछु कहिये यानी जब तक संसार रहे तब तक संवाद चलते रहना चाहिए। कुछ कहना और कुछ सुनना, यही तो संवाद का पार है, यही लोकतंत्र कि आत्मा है। Policies में अंतर हो सकता है, Politics में भिन्नता हो सकती है, लेकिन हम Public की सेवा के लिए हैं, इस अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए। वाद-संवाद संसद के भीतर हों या संसद के बाहर, राष्ट्रसेवा का संकल्प, राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए। आज जब नए संसद का निर्माण हो रहा है तो हमें याद रखना है कि वो लोकतंत्र जो संसद भवन के अस्तित्व का आधार है, उसके प्रति आशावाद को जगाए रखना हम सभी का दायित्व है। हमें ये हमेशा याद रखना है कि संसद पहुंचा हर प्रतिनिधि जवाबदेह है। ये जवाबदेही जनता के प्रति भी है और संविधान के प्रति भी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ये बयान ऐसे समय में आया जब पंजाब के किसान मोदी सरकार के द्वारा मानसून सत्र के दौरान लाये गये तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग कर रहे है। इसी मांग के चलते किसान पिछले 15 दिनों से राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे है। केंद्र सरकार और किसानों के बीच हुई 5 दौर की वार्ता के बाद भी कोई निष्कर्ष नही निकला है। गौरतलब है कि गृहमंत्री अमित शाह के साथ किसानों की बातचीत के बाद किसान कुछ संतुष्ट नज़र आये थे जिसमें किसानों को सरकार कि और से एक नया संशोधित प्रस्ताव देने कि बात कही गई थी।
लेकिन नया संशोधित प्रस्ताव मिलने के बाद किसानो से उसे मानने से इनकार करते हुए कहा कि सरकार पुराने प्रस्ताव को नए तरीके से पेश करने की कोशिश कर रही है। किसानों ने इस नए संशोधित प्रस्ताव का बहिष्कार करते हुए आन्दोलन को और तेज करने और 14 दिसंबर को देशव्यापी धरने का आह्वान किया है।
किसान नेताओं ने ‘दिल्ली घेराव’ (Delhi gherao) की एक योजना की घोषणा करते हुए कहा कि दिल्ली-जयपुर (Delhi-Jaipur) और दिल्ली-आगरा (Delhi-Agra) राजमार्ग 12 दिसंबर तक प्रदर्शनकारियों द्वारा अवरुद्ध (block) कर दिए जाएंगे और देश भर के सभी टोलों को मुक्त कर दिया जाएगा।
सरकार की ओर से किसानों को मानाने और आन्दोलन को खत्म करने के हर प्रयास, बेनतीजा निकलने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ये बयान कई माइनों में महतवपूर्ण नज़र आ रहा है। कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि मानो पीएम मोदी किसानों, जिसमें ज्यादातर किसान पंजाब से है और सिख समुदाय से है, को उन्हें गुरु नानक जी की वाणी सुनकर उनके आन्दोलन के निर्णय को बदलने और उन्हें समझाने कि कोशिश कर रहे है। प्रधानमंत्री मोदी का गुरु नानक देव जी को याद करना और ये कहना कि जब तक संसार है तब तक संवाद चलते रहना चाहिए, ये इस बात कि ओर इशारा कर रही है कि मोदी सरकार अभी भी किसानों की बात सुनने और उस पर चर्चा करने के पक्ष में है।
लेकिन किसानों के देशव्यापी आन्दोलन के ऐलान के बाद ऐसा नही लगता कि वो अब सरकार कि किसी भी बात को सुनने या मानने में दिलचस्पी रखते है। अब देखना ये होगा कि क्या सरकार आन्दोलनकारी किसानों को समझाने में कामयाब होती है या फिर किसान सरकार से अपनी बात मनवाने में कामयाब होते है।