सीमित संसाधन और दोहरा मोर्चा के तर्ज पर फॉर्मूला तैयार करती Indian Army

न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): पूर्वी लद्दाख में चल रहे संघर्ष के बीच, भारतीय सेना (Indian Army) नयी रणनीति पर काम कर रही है। जिसकी मदद से युद्ध के माहौल के बीच सेना एक साथ दो मोर्चों पर कारगर ढंग से सैन्य कार्रवाई कर सकेगी। यानि कि चीन और पाकिस्तान दोनों के खिलाफ एक ही वक्त में मोर्चा खोला जा सकेगा। कुछ वक्त पहले तक भारत की सामरिक रणनीतियों (Military strategy) का फोकस मुख्य रूप से पाकिस्तान से लगी सीमा की ओर था, क्योंकि हाल के सालों में वास्तविक नियंत्रण रेखा इतने तनाव का उभर पहले नहीं देखा गया था।

ऑप्रेशनल तैयारियों के संतुलन का ज्यादा झुकाव पश्चिमी सीमा से लगी सीमाओं पर था। इस तथ्य का अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है। इन सीमाई इलाकों में तीन स्ट्राइक कॉर्प्स की तैनाती की गयी है, जबकि उत्तरी सीमाओं के लिए सिर्फ माउंटेन स्ट्राइक कोर (Mountain strike core) गठन किया गया। सेना से जुड़े सूत्रों के अनुसार सशस्त्र संघर्ष के हालातों में भारतीय सेना को अतिरिक्त फोर्स या एक नए स्ट्राइक कोर का गठन करने की कोई जरूरत नहीं होगी। मौजूदा संसाधनों के इस्तेमाल और दोहरे युद्ध के फॉर्मूले से एक साथ दो मोर्चों पर रक्षात्मक और आक्रामक कार्रवाई करना आसान होगा।

सेना मुख्यालय द्वारा इस मामले के विभिन्न प्रस्तावों पर रायशुमारी की जा रही है। जिसके तहत विभिन्न कॉर्प्स कमांडरों के सुझाव भी मांगे गये है, मौजूदा हालातों और रणनीतिक दबावों के देखते हुए एलएसी पर सैन्य तैयारियों को और बढ़ाने की जरूरत सामने आ रही है। इस दौरान हुई रायशुमारी और सुझावों में ये बात सामने निकलकर आयी कि डुअल फॉर्मेशन (Dual formation) से दोहरी सैन्य कार्रवाइयों को अन्ज़ाम दिया जा सकेगा। जिसके आधार पर सेना आगे बढ़ने की तैयार कर रही है।

पश्चिमी मोर्चे पर भोपाल की 21 स्ट्राइक कॉर्प्स के साथ मथुरा की स्ट्राइक वन और अंबाला में खड़ग कोर की तैनाती की गयी है। इनमें भारी बख्तरबंद शामिल है। इन फॉर्मेशन की तैनाती पश्चिमी, मध्य और उत्तरी इलाकों में की गयी है। जिनमें से ज़्यादातर चीन सीमा से लगे मोर्चे के बेहद करीब तैनात है। 1.3 मिलियन फोर्स लड़ने के फॉर्मूले की क्षमता पता लगाना बड़ी कवायद होगी। जिसके तहत भारतीय सेना को दो मोर्चे पर युद्ध के लिए तैयार किया जाएगा। चीन के साथ चल रहे सीमाई संघर्ष में भारतीय सेना ने शक्ति संतुलन (Power Balance) बनाये रखने के लिए मध्य और पश्चिमी कमांड से भारी तादाद में बख्तरबंद जखीरे (Armored stockpile) की तैनाती की है।

लद्दाख सेक्टर में भारतीय सेना ने अपने सामने तैनात चीनी सेना को चुनौती देने के लिए भारी मात्रा में BMP, T-90 और T-72 की तैनाती की है। सैन्य भाषा में इसे मिरर डिप्लॉयमेंट (Mirror deployment) कहा जाता है। पूर्वी लद्दाख के सीमाई इलाके में पीएलए के 60,000 सैनिकों के खिलाफ भारतीय सेना ने तीन माउंटेन डिवीजन्स (Three mountain divisions) को अतिरिक्त तौर पर तैनात किया है। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में अप्रैल-मई से ही सैन्य तनाव लगातार कायम है। जिसके मद्देनज़र एलएसी के साथ निकटवर्ती दूसरे इलाकों में तैनाती काफी बढ़ गई है।

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