न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): 17वें दिन में दाखिल हो रहा किसान आंदोलन (Farmers Protest) अब और धारदार होता दिख रहा है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से आये प्रदर्शनकारी किसानों का जमावड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। किसानों ने 3 केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द कराने का पूरी तरह से मन बना लिया है। सरकार पर अतिरिक्त दबाव बनाने के लिए भारतीय किसान यूनियन ने आज तड़के गौतमबुद्धनगर के पेरीफेरल एक्सप्रेसवे (Peripheral expressway) के सिरसा टोल को पूरी तरह फ्री कर दिया है। यहां से गुजरने वाले सभी वाहन अब बिना टोलटैक्स का भुगतान किये गुजर रहे है। इससे सीधा नुकसान NHAI को होगा।
दिल्ली से लगी हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर किसानों का जमावड़ा और चक्का जाम करने की चेतावनी को देखते हुए संबंधित राज्य की पुलिस ने सतर्कता और तैनाती में बढ़ोत्तरी कर दी है। दिल्ली-यूपी-हरियाणा सीमा पर सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम के बीच तकरीबन तीन हजार अतिरिक्त सुरक्षा बल के जवानों की तैनाती की गयी है। पुलिस दोनों ओर के आवागमन पर गहरी नज़रे बनाये हुए है। सीमा पर कई आईपीएस रैंक पुलिस अधिकारियों (IPS rank police officers) ने व्यवस्था की कमान संभाल रखी है।
सिंघु और कुंडली बॉर्डर पर भी अमूमन ये तस्वीरें आम देखने को आ रही है। किसान संगठनों ने कल अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया बड़ा बयान देते हुए ऐलान किया कि, किसान आंदोलन किसी भी तरह राजनैतिक दलों ने हाइजैक नहीं किया है। आंदोलन की रूपरेखा और रणनीतियां पूर्ण रूप से अराजनीतिक है। अगर ऐसा कोई कहता है तो ये अपने आप में किसान और आंदोलन के खिलाफ दुष्प्रचार (Propaganda) है। ऐसी खब़रे एजेंडा सेटिंग (Agenda setting) के तहत प्लान्ट की जा रही है। इससे बचने के लिए आंदोलन नेताओं ने वाट्सएप ग्रुप बना रखे है ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
इसके साथ ही किसान नेताओं ने उग्र वामपंथ (Radical leftism) के बारे में भी सफाई देते हुए, किसी भी तरह के संबंध के बारे में इंकार किया। हाल ही में किसान आंदोलन के बीच शरजील इमाम और उमर खालिद (Sharjil Imam and Omar Khalid) के पोस्टर लहराते हुए नज़र आये थे। जिसके बाद आंदोलन की दिशा को लेकर सवाल उठाया गया। इसके साथ ही दीवारों पर भी केन्द्र सरकार से राजनीतिक बंदियों को छोड़ने के लिए पेटिंग वाली अपीलें सामने आयी। बीच में जम्मू कश्मीर और खालिस्तान के मुद्दे को भी किसान आंदोलन से जोड़ा गया। जिसके बारे में किसान नेता और जत्थेदारों ने सफाई देते हुए इन मामलों से अपना कोई वास्ता नहीं बताया।
किसान नेताओं ने अपने संबोधन में कहा कि अगर किसी को पोस्टर लाना है तो भगत सिंह और सर छोटू राम का लाये। किसानों नेताओं ने तकरीरों में धरना-प्रदर्शन की पॉलिटिकल हाइजैकिंग (Political hijacking) को पूरी तरह नकारा। साथ ही किसी विशेष विचारधारा के प्रभाव से आंदोलन को मुक्त बताया। सियासी हस्तक्षेप से आंदोलन में गड़बड़ी ना फैले इसके लिए पुलिस के साथ सभी जत्थेदार इस बात का खास इंतज़ाम कर रहे है। आंदोलन में आने वाले सभी किसान राशन, बिजली, टीवी सहित सभी तरह की रसद लेकर आ रहे है। इसके साथ ही अंदरखाने आने वाले 14 दिसम्बर को आंदोलन उग्र करने की रणनीतियां भी तैयार की जा रही है।