नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों (West Bengal Assembly Elections 2021) से पहले तृणमूल कांग्रेस का किला अंदरूनी कलह के कारण ढहता दिख रहा है। जिसके कारण ममता बनर्जी को चुनावी रणनीति तैयार करने दिक्कतें होगी। टीएमसी को पहले ही सुवेंदु अधिकारी और जितेंद्र तिवारी (Suvendu Adhikari and Jitendra Tiwari) के तौर पर दो बड़े झटके लग चुके है। अब हाल ही में तीसरे झटके तौर पर बैरकपुर से टीएमसी विधायक शीलभद्र दत्ता ने भी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा आज तड़के सुबह पार्टी आलाकमान को मिल चुका है।
हालांकि शीलभद्र दत्ता ने अभी भी विधायक पद पर बने हुए है। अभी उन्होनें एमएलए पद से इस्तीफा नहीं दिया है। शीलभद्र मुकुल राय के काफी करीबी माने जाते है। लंबे समय से वो टीएमसी के खिलाफ बागी तेवर अख़्तियार किए हुए थे। इसके राजनीतिक घटनाक्रम (Political events) के बाद पार्टी के भविष्य को लेकर कई तरह की अटकलें लगायी जा रही है। इन्हीं बातों के मद्देनज़र आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक इमर्जेंसी बैठक बुलाई है। जिसमें मौजूदा हालातों पर चर्चा, डैमेज कंट्रोल और पार्टी की चुनावी रणनीति पर चर्चा हो सकती है।
टीएमसी चले इस्तीफों के दौर में ममता के कई विश्वसनीय लोग पार्टी का दामन छोड़ रहे है। सुवेंदु अधिकारी ने पार्टी से 20 साल पुराना नाता तोड़ लिया। हालांकि की शीर्ष नेतृत्व की ओर से रूठे विधायकों को मानने की कवायद में तेजी लायी गयी। बावजूद इसके इस्तीफा का दौर गर्म है। इन हालातों के पीछे प्रशांत किशोर और अभिषेक बनर्जी का अहम वज़ह माना जा रहा है। जिनके दखल के कारण ममता का विश्वासपात्र लोग पार्टी से दूरी बना रहे है।
टीएमसी के कई पुराने और वरिष्ठ नेताओं को लगता है कि रणनीति तय करने और रायशुमारी के लिए उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। अहम फैसले लेने में विचार-विमर्श नहीं किया जा रहा। इसी अंदरूनी कलह का फायदा भाजपा को मिल रहा है। जिसकी वजह से टीएमसी के कई दिग्गज़ चेहरे पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी का दामन छोड़ रहे हैं। जिसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलना तय माना जा रहा है।