नई दिल्ली (जेशुआ पॉल): हर साल 25 दिसम्बर को प्रभु यीशु का जन्मदिन क्रिसमस डे (Christmas day) के तौर पर मनाया जाता है। क्रिसमस का शाब्दिक अर्थ क्राइस्ट्स मास, यानि कि प्रभु यीशु के जन्म के अवसर जाने वाली सामूहिक प्रार्थना सभा। न्यू टेस्टामेंट (New testament) यीशु के जन्म की कहानी को काफी विस्तार से बताया गया है। इस्लामिक परम्पराओं में प्रभु यीशु को नबी/पैंगम्बर और रसूल माना गया है। यीशु का जन्म बैथेलहम में हुआ जिसकी प्रशासनिक नियन्त्रण रोमन साम्राज्य के हाथों में हुआ करता था।
प्रभु यीशु के पिता यूसुफ पेशे से बढ़ई थे और मरियम (मेरी) दैवयोग से मेरी कुंवारी ही गर्भवती हो गयी। जिसकी बारे में फरिश्तों ने यूसुफ को बताया। दोनों ही यहूदी थे और जनगणना (Census) कराने के लिए अपने पैतृक स्थान लौट रहे थे। रास्ते में ही मेरी को प्रसव पीड़ा हुई, जगह ना मिलने पर उन्होनें पशुशाला में यीशु को जन्म दिया। नक्षत्र को देखते हुए कुछ विद्वान आचार्य पशुशाला में पहुँचे और प्रभु यीशु को नमन करते हुए उनका अभिषेक किया। उसी दिन की याद में क्रिसमस का त्यौहार मनाया जाने लगा।
क्रिसमस के साथ ही जुड़ा हुआ है सांता क्लॉज। लंबी सफेद दाढ़ी, गोलमटोल, लाल कपड़े पहने और उपहारों से भरा बैग लेकर घूमने वाला बाबा। जिसका हर बच्चे को काफी बेसब्री से इंतज़ार रहता है। सांता क्लॉज शब्द डच भाषा के सिंटर क्लाज से हुआ है। ये संत निकोलस का नाम है। मज़े की बात ये है कि ईसाई मान्यताओं में ईसा मसीह के जन्म और सांता क्लॉज का कोई सीधा संबंध नहीं है। संत निकोलस एक ईसाई पादरी (Christian priest) थे। जो बेहद दयालु, उदार और मददगार प्रवृति के थे। जो कि क्रिसमस की रात में निकलकर गरीब और जरूरतमंदों बच्चों को उपहार दिया करते थे। जिसके कारण उनका जुड़ाव इस त्यौहार से बन गया।
क्रिसमस के साथ क्रिसमस ट्री भी परम्परा जुड़ी हुई है। ये प्रचलन उत्तरी यूरोप से आया। जहां फेयर के पेड़ के सजाकर विंटर फेस्टिवल मनाया जाता था। जिसकी जगह क्रिसमस ट्री ने ले ली। मान्यता के अनुसार ईसा मसीह के जन्मदिन की खुशी में सभी देवताओं ने क्रिसमस ट्री सजाकर अपनी खुशी का इज़हार किया था। क्रिसमस के मौके पर विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जाता। जुलूस,भंडारे और झांकियां निकाली जाती है। केरेल गायन (मंगल गीत) होता है। इस मसीह समाज ईसा के अवतरण (Incarnation of christ) को नाटक या झांकी के माध्यम से पुर्नजीवित करता है। इस दिन समर्पित विश्वासी खुद ईश्वर को अर्पित उनसे याचना करता है आप ही मेरे चरवाहे और मेरा मार्गदर्शन करे।