नई दिल्ली (शौर्य यादव): किसान आंदोलन (Farmers Protest) समाप्त करने के लिए आज किसान प्रतिनिधियों और केन्द्र सरकार के बीच सातवें दौर में वार्ता होगी। केन्द्र सरकार की ओर से नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल वार्ताकार रहेगें। इसके साथ ही कृषि मंत्रालय के सचिव सहित कई आला अधिकारी भी इस बैठक में शामिल रहेगें। कयास लगाये जा रहे है कि आज इस मसले पर कोई ना कोई हल निकल सकता है। इससे पहले किसान संगठनों ने अपना रूख़ साफ करते हुए अपनी मांगों से पीछे हटने पर साफ इंकार कर दिया है।
इससे पहले छठें दौर की वार्ता के दौरान किसान और केन्द्र सरकार के वार्ताकारों (negotiators of Central government) के बीच दो मुद्दों पर आम सहमति बन चुकी है। जिसमें पराली जलाने और बिजली कानून से संबंधित मांगें थी। केन्द्र सरकार का मानना है कि इन कानूनों से किसानों की आमदनी दुगुनी होगी और फसलों की बिक्री के लिए उन्हें बेहतर विकल्प मिल पायेगें। किसानों को इस बात का संशय है कि इन कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी व्यवस्था चरमरा जायेगी। किसानों ने दो टूक साफ कर दिया है कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य और तीन केन्द्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने से नीचे गतिरोध खत्म करने का सवाल ही नहीं उठता।
ताजा हालातों के बीच सिंघु बार्डर और टीकरी बार्डर पर बीते रविवार चार किसानों के अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। सिंघु बार्डर पर जिन दो किसानों की जान गयी, उसका कारण सर्दी से हुआ हार्ट अटैक (Heart attack due to cold) बताया जा रहा है। दूसरी बीते रविवार गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें दिल्ली की सीमाओं पर उपजे गतिरोध को खत्म करने की रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा हुई। कयास लगाये जा रहे है कि गृह मंत्री अमित शाह के इन इनपुट्स और सलाह पर आज होने वाले बैठक की रूपरेखा तैयार की गयी है।
सरकार किसान आंदोलन को 26 जनवरी के पहले खत्म करने की कोशिश में है, ताकि गणतन्त्र दिवस समारोह कार्यक्रम में किसी तरह का खलल ना पड़े। इसके साथ संसद के आगामी सत्र में इसका प्रभाव ना पड़ सके। सरकार की कोशिशों के बावजूद किसान संयुक्त मोर्चा ने आज की बैठक विफल रहने की दशा ने आगामी 26 जनवरी तक के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर ली है। जिसे संभवत: अंज़ाम दिया जाना है।