न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): चौतरफा सामरिक तनातनी के बीच आज चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा पीपुल्स लिब्ररेशन ऑर्मी (चीनी सेना/पीएलए) किसी भी समय होने वाली जंग के लिए तैयार रहे। उनका ये ऐलान काफी अहम और बड़ा माना जा रहा है। मौजूदा हालातों में बीजिंग को लद्दाख के पूर्वी मोर्चे पर भारत से, दक्षिणी चीन सागर में जापान और अमेरिका से और ताइवान के साथ बड़ा सैन्य गतिरोध चल रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि, चीन का धैर्य ज़वाब देने लगा है। जिसकी झलक जिनपिंग के इस बयान में मिलती है। इसके साथ ही उनका ये रवैये अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी (International community) के लिए परेशानी का सब़ब बन सकता है।
चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ये फरमान केंद्रीय सैन्य आयोग (Central military commission) चेयरमैन के तौर पर जारी किया। उन्होनें पीएलए को असल हालातों में युद्ध ट्रेनिंग कर, अपनी पकड़ दक्षिण एशिया में मजबूत बनाये रखने का संदेश दिया। जिससे कि किसी भी सूरत में संभावित जंग की जीता जा सके। साउथ चाइना मार्निग पोस्ट के खास बातचीत के दौरान उन्होनें मंशा ज़ाहिर करते हुए कहा कि, सेना जल्द ही ये काबिलियत कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की 100वीं वर्षगांठ से पहले हासिल कर लेगी। इस दौरान उन्होनें जंगी हालातों और सैन्य प्रशिक्षण सत्र (Military training session) के दौरान तकनीक के इस्तेमाल पर भी जोर दिया। जिसके लिए सेना कंप्यूटर सिम्युलेशन और ऑनलाइन ड्रिल की मदद से प्रशिक्षण देने के साथ मुकाबले भी करवायेगी।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2012 के आखिर में केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष का पदभार संभाला था। जिसके बाद से वो अपने हर संबोधन में, वो सेना से युद्ध के लिए तैयार रहने की अपील करते आये है। उन्हीं अगुवाई में साल 2015 के दौरान पीपुल्स लिब्ररेशन ऑर्मी को उन्नत तकनीकों से लैस करने की मुहिम शुरू की गयी। दूसरी ओर अलीबाबा समूह के संस्थापक जैक मा को गायब कराने में उनका नाम सामने आ रहा है। दो महीने से जैक मा की कोई खोज खबर नहीं है। जैक मा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच काफी तल्खियां उभरी थी। जैक ने काफी बेबसी से उनकी और चीनी सरकार की निर्मम आलोचना की थी। द एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जैक मा सरकारी एजेंसियों की निगरानी में हैं। जैक ने चीनी बैकों और फाइनेंशियल रेगुलेटर्स (Chinese Banks and Financial Regulators) को ब्याज़खोर बताया था। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी पर आरोप लगाते हुए उन्हें नया आइडिया को रोकने वाला बताया।