न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): किसान आंदोलन (Kisan Andolan) का गतिरोध खत्म करने के लिए संपन्न हुईआठवें दौर की वार्ता बेनतीज़ा रही। किसान प्रतिनिधियों और केन्द्र सरकार के बीच वार्ता का अगला दौर 15 जनवरी को हो सकता है। बैठक के दौरान किसान अपनी पुरानी मांगों पर अड़े रहे। किसान प्रतिनिधियों ने सरकार को साफ कर दिया कि, कानून रद्द ना होने तक किसी भी आंदोलनकारी की घर वापसी नहीं होगी। बैठक के दौरान केन्द्र सरकार का रवैया कानून के विवादस्पद बिन्दुओं (Disputed points) पर संशोधन करने का रहा। बीच एक दौर ऐसा भी आया, जब किसानों ने चुप्पी साध ली।
किसानों को साफ रवैया देखते हुए सरकार ने मामला सर्वोच्च न्यायालय से सुलझाने की बात कही। जिसे किसान प्रतिनिधियों ने नकार दिया। गौरतलब है कि 11 जनवरी को उच्चतम न्यायालय में तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों की वैधता पर सुनवाई हो सकती है। बैठक में केन्द्र सरकार की अगुवाई केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने की। बैठक के दौरान माहौल काफी गर्मा गया। इस दौरान किसान ने सरकार से अपनी मांगों को लेकर हां या ना में ज़वाब मांगा। कड़े तेवरों के साथ किसान प्रतिनिधियों ने सरकार पर इल्ज़ाम लगाया कि सरकार मामले को लेकर संजीदा नहीं है। उनकी मंशा किसानों की मांगों को मनाने की नहीं है।
लंच ब्रेक के दौरान किसानों ने हाथों में गुरूमुखी में लिखी तख़्तियां लेकर अपना रूख़ साफ कर दिया। जिसमें लिखा था कि, मरेंगे या जीतेंगे। एक दूसरी तख़्ती पर लिखा हुआ था, कानून वापस तो हम घर वापस। जब किसानों ने चुप्पी साध ली तो, तीनों मंत्री आपसी चर्चा के लिए बैठक कक्ष (Meeting room) से बाहर निकल गये। इस दौरान तीनों मंत्रियों और किसान प्रतिनिधियों ने लंच भी नहीं किया। पहले की तरह इस बार भी किसानों ने सरकार की ओर से प्रायोजित लंच नहीं किया। आज होने वाली बैठक से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने करीब एक घंटा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक की थी।