न्यूक्लियर रिएक्टर्स की जांच को लेकर अब IRAN ने US पर थोंपी शर्तें

न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): मध्य पूर्वी एशिया में इजरायल और ईरान (IRAN) की तनातनी, अमेरिका (US) के लिए हमेशा से ही परेशानी का सबब बन रही है। ईरान मानता रहा है कि, उसे अस्थिर करने में तेल अवीव और वाशिंगटन का हाथ रहा है। मौजूदा हालातों में ईरान दोनों देशों को काफी आक्रामक है। तेहरान का सत्तासदन इजरायल और अमेरिका को अपने टॉप कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक की हत्या के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार मानता है। इन सबके बीच इराक लगातार अपनी सैन्य क्षमता में काफी इजाफा कर रहा है। जिसमें अत्याधुनिक ड्रोन प्रणाली, परमाणु कार्यक्रम और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइलों (Intercontinental Ballistic Missile) का परीक्षण खासतौर से शामिल है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मीडिया समूह अलजज़ीरा पर एक वीडियो देखी गई। जिसमें ईरान कई ड्रोनों एक साथ परीक्षण करते हुए दिखा।

हाल ही में ईरान ने अमेरिका पर एक नई शर्त थोंपी है। मामला संयुक्त राष्ट्र से जुड़ा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी ईरान के परमाणु सत्ता प्रतिष्ठानों का दौरा करना चाहती है। संयुक्त राष्ट्र को मिली जानकारी के मुताबिक ईरान अपनी परमाणु क्षमता में काफी इजाफा कर चुका है। जिसके तहत ईरान यूरेनियम संवर्धन की 20 फ़ीसदी से ज्यादा क्षमता हासिल कर चुका है। इसी मसले के मद्देनजर ईरानी संसद में एक प्रस्ताव पारित किया। जिसके मुताबिक अगर उस पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों में ढील नहीं दी जाती है तो, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency-IAEA) को ईरानी न्यूक्लियर रिएक्टर्स का मुआयना करने नहीं दिया जाएगा। ईरान के नीति नियंता साल 2015 के परमाणु समझौते के तर्ज पर ज्यादा से ज्यादा यूरेनियम संवर्धन की क्षमता हासिल करना चाहते हैं।

इस मुद्दे पर ईरानी सांसद अहमद अमीराबादी ने रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि, अगर वाशिंगटन ईरान पर लगे तेल निर्यात बैंकिंग और वित्तीय प्रतिबंधों को आगामी 21 फरवरी तक नहीं हटाता तो, संयुक्त राष्ट्र की इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी के लोगों को ईरानी न्यूक्लियर रिएक्टर्स की क्षमता और यूरेनियम संवर्धन (Uranium enrichment) से जुड़ी जांच और मुआयना करने की इज़ाजत नहीं दी जाएगी। इसके लिए परमाणु एजेंसी के ऑब्जर्वस (IAEA Observes) का बहिष्कार किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर सभी अंतर्राष्ट्रीय परमाणु प्रोटोकॉल्स को भी ताक पर रखा जा सकता है।

इस मामले पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने तीखी प्रतिक्रिया दर्ज की। उनके मुताबिक ईरान को इन ऑब्जर्वर्स को जांच की अनुमति देनी चाहिए। ईरान का परमाणु कार्यक्रम मध्य पूर्वी एशिया सहित पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए खतरे की घंटी है। यह अमेरिका सहित पूरे विश्व को खतरे में डाल सकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान वॉशिंगटन और तेहरान में जमकर तल्खियां देखी गई। अमेरिका ये मानने की सूरत में नहीं है किस प्रतिबंधों में ढील देने के बाद भी ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को उसके मनमुताबिक धीमा कर देगा। फिलहाल ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों के ईरानी अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है। वो चाहकर भी अपने अथाह तेल भंडार को निर्यात नहीं कर पा रहा है। अब देखना दिलचस्प रहेगा कि, नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन तेहरान को लेकर क्या रवैया अख़्तियार करते है।

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