न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): ओडिशा (Orissa) के बरगड़ जिले से एक हैरतअंगेज घटना सामने आई है। जहां पूरा परिवार लाश के साथ 10 दिन घर में ही बैठा रहा। फिलहाल अब तक समझ में नहीं आया है कि, ये परिवार का सनकीपन था या फिर भावनात्मक लगाव। कुछ लोग इसे अंधविश्वास का नाम दे रहे है। खबर के मुताबिक बरगड़ जिले के तहत पर बारतोल पंचायत में डांग चौक के पास रहने वाले बुजुर्ग महेंद्र बाग की मौत दस दिन पहले हो गयी। उनके परिवार में उनके बाद उनकी पत्नी और दो बेटियां है। जो कि शायद मानसिक रूप से ये मानने के लिए तैयार नहीं है कि उनके परिवार के मुखिया की मौत हो गयी। ये सभी महेंद्र बाग पर ही निर्भर थे।
ऐसे में परिवार के सभी सदस्य 10 दिन इसी उम्मीद में बैठे रहे कि, 1 दिन महेंद्र बाग जीवित हो उठे। जिसके कारण उन्होंने मृत शरीर का अंतिम संस्कार करना भी जरूरी नहीं समझा। इस बीच लाश पूरी तरह सड़ने लगी, जिससे भंयकर दुर्गंध (Dreadful odor) आने लगी। फिर भी परिवार के तीनों सदस्यों का भरोसा नहीं डगमगाया। घटना की जानकारी स्थानीय गैर सरकारी संगठन संकल्प परिवार को मिली। संस्था के स्वयंसेवकों की तहरीर पर बरगड़ टाउन पुलिस ने मामले में हस्तक्षेप किया। जिसके बाद पुलिस द्वारा परिवार की काउंसलिंग कर शव के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें मनाया गया।
गौरतलब है कि ऐसी कई खबरें मीडिया में सुर्खियां बनती है। जिसमें लाश सड़ने के बाद भी लोग उनके साथ कई-कई दिन गुजारते देते हैं। बाहरी दखल के बाद ही शव अंतिम संस्कार हो पाता है। इनमें से ज्यादातर मामले अवसाद, अकेलापन, अंधविश्वास, भावनात्मक लगाव और मानसिक बीमारियों (Mental illnesses) से जुड़े हुए होते हैं। ऐसे ज्यादातर मामले में महानगर की भागदौड़ भरी जिंदगी से सामने आते हैं। जहां कई सालों तक रहने के बावजूद के लोग एक दूसरे को नहीं जान पाते। कई बार अपार्टमेंट और घरों में लोग मर जाते हैं। उनकी कोई खोज खबर लेने वाला नहीं होता। लाश सड़ने के बाद अक्सर घर के नौकर या फिर चौकीदार पुलिस तक खबर पहुंचाते हैं।