नई दिल्ली (विश्वरूप प्रियदर्शी): कृषि सुधार के लिए लाये गये तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ बने किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के गतिरोध को खत्म करने आज 9वें दौर की वार्ता संपन्न हो गयी। ये बैठक पहले हुई बैठकों की तरह ही बेनतीज़ा रही। आज भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने किसानों का पक्ष साफ करते हुए कहा कि, सभी किसान प्रतिनिधि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सामने पेश नहीं होगें। साथ ही वो सरकार से ही कानून के वापसी करवाने की मांग पर डटे रहेगें। अभी तक किसान अपनी पिछली मांगों पर ही अड़े हुए है। फिलहाल दोनों पक्षों के बीच किसी भी प्रस्ताव पर आम सहमति बनी पायी है।
बैठक के बाद नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, सर्वोच्च न्यायालय सर्वोपरि संस्था है। अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी में हमें बुलाया जाता है तो हमें वहां पेश होगें। माननीय न्यायालय ने ये समिति किसानों की समस्या को जानने के लिए तैयार की है। इसके साथ ही हम समिति के सामने अपना पक्ष भी रख सकते है। आंदोलन को लेकर चंद राज्य के किसान ही आंदोलित है। हमें सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करना चाहिए। बैठक के दौरान हमें एक्ट के सभी बिन्दुओं पर किसान नेताओं से बातचीत की। हम बातचीत से हल निकालने की पैरोकारी (Advocacy) करते है।
बैठक के दौरान कृषि मंत्री ने कहा कि कानून वापस लिये नहीं जायेगें। सरकार संशोधन के लिए तैयार है। इस बीच किसानों ने सख़्त रूप अख़्तियार किये रखा। उन्होनें हवाला दिया कि किसानों का एक बड़ा वर्ग इन कानूनों के समर्थन में खड़ा है। जिससे किसान प्रतिनिधि संतुष्ट नहीं हुए। बैठक के दौरान किसान नेताओं ने पंजाब में आढ़तियों के यहां हुई छापेमारी और हरियाणा में किसानों पर हुई कार्रवाई का मुद्दा भी उठाया। किसान नेताओं ने नयी मांग उठाते हुए कहा कि आंदोलन में शामिल सभी किसानों पर दर्ज मामले वापस लिये जाये।
अब दोनों पक्षों के बीच वार्ता का 10वां दौर 19 जनवरी को दोपहर 12 बजे तय किया गया है। मीडिया से बातचीत के दौरान किसान नेताओं ने कहा कि हमारी प्राथमिकता MSP है, जिससे सरकार भागती फिर रही है। दूसरी और कांग्रेस इस मुद्दे पर सियासी दावंपेंच खेलती नज़र आयी। कांग्रेस की कई इकाइयों ने जंतर-मंतर पर भीषण प्रदर्शन किया। इस दौरान हालात को संभालने के लिए दिल्ली पुलिस ने कई कांग्रेसी नेताओं को हिरासत में ले लिया। केन्द्र सरकार लगातार किसानों से वैकल्पिक संभावनाओं (Alternative possibilities) की अपील कर रही है। जिसे लेकर किसान नेता लचीला रूख़ नहीं अपनाना चाहते।