न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): पाकिस्तान (Pakistan) और इमरान सरकार बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। आम पाकिस्तानी को रोजमर्रा की चीजें खरीदने में बेतहाशा महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इमरान सरकार अपनी लचर नीतियों और घेरलू मोर्चे पर मिल रही चुनौतियों के सामने बेबस नज़र आ रही है। हाल ही में एक परीक्षण के दौरान अपनी सरजमीं पर मिसाइल गिरा इस्लामाबाद आलोचनायें झेल चुका है। रक्षा संसाधनों में अंधाधुंध निवेश करके पाकिस्तान दूसरे देशों (खासतौर से चीन और सऊदी) के सामने हाथ फैलाता रहा है। इसी कारण पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था (Pakistani economy) काफी खोखली हो चुकी है, जिसके जल्द ही ढ़हने के आसार नज़र आने लगे हैं।
अब खस्ताहाल पाकिस्तान की बात खुद पीएम इमरान खान कबूलते नज़र आ रहे है। एक पाकिस्तानी निजी चैनल को दिये इन्टरव्यूह में उन्होनें कहा कि- अब पाकिस्तान दूसरे देशों से और ज़्यादा उधार या आर्थिक मदद नहीं ले सकता। पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कीमतें कम रखने के लिए सब्सिड़ी कम की गयी। जिसका बोझा आम पाकिस्तानी आव़ाम को ढ़ोना पड़ेगा। जिससे कि मुल्क को और ज़्यादा कर्जदार होने से बचाया जा सके। हम अब और ज़्यादा उधार नहीं ले सकते।
इस दौरान इमरान खान ने ये भी माना कि, पाकिस्तानी करेंसी का मूल्य काफी घटा है। जिससे रोजमर्रा की कई चीज़ों की कीमत में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। पाकिस्तान में डॉलर की कीमत 107 रूपये से बढ़कर 160 रुपए हो गई, जिसका सीधा असर दामों पर पड़ रहा है। जो कि मंहगाई बढ़ने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है। इसी क्रम में पाकिस्तान की सरकार एयरलाइंस का लीज़ पर लिया विमान ज़ब्त कर लिया गया। सऊदी अरब उससे लगातार उधारी के पैसे वापस देने के लिए दबाव बनाता रहा है। इन कारणों से पाकिस्तान की लगातार अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर किरकिरी होती रही है।
इस्लामाबाद कंगाली के ऐसे माहौल में पहुंच गया है। जहां उसे कोरोना महामारी से बचने के लिए चीन का मोहताज होना पड़ रहा है। फिलहाल पाकिस्तान कर्जें में बुरी तरह डूबा हुआ है। मौजूदा विदेशी कर्जें उसकी 106.8 फीसदी जीडीपी के बराबर पहुँच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली होने के कगार पर है। करेंसी अवमूल्यन (Currency devaluation) और वैश्विक स्तर पर गिरती उसकी आर्थिक साख (Economic credit) कभी उसके लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकते है।