एजेसिंया/न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): इस समय म्यांमार गहरे राजनीतिक संकट (Political Crisis in Myanmar) से गुजर रहा है। सेना ने तख्तापलट की पुख़्ता आशंकाओं के बीच एक साल का आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी है। साथ ही तुरन्त प्रभाव से आंग सान सू की गिरफ्तारी कर ली गयी है। जिसकी पुष्टि खुद नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) ने की। आंग सान सू की सहित राष्ट्रपति को राजधानी नैपीडॉ में नज़रबंद कर दिया गया है। जहां सुरक्षा बल ने कड़ा मुस्तैदी पहरा लगा दिया है। संवेदनशील इलाकों में सशस्त्र सैनिक लगातार फ्लैग मार्च कर रहे है। रैली, विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक भाषणों के कार्यक्रमों पर सेना ने सख़्त कार्रवाई करने के आदेश दे दिये है।
म्यांमार की सेना से इस तख़्तापलट के कार्रवाई कहने से बच रही है। कवायदों से साफतौर पर ज़ाहिर होता है कि ये सत्ता हस्तांतरण के लिए किया जा रहा है। म्यांमार में उपजे इस गहरे राजनीतिक संकट पर भारत बेहद करीब से नज़रे बनाये हुए है। भारत-म्यांमार सीमा पर तैनात भारतीय सेना हाई अलर्ट रखा गया है। फिलहाल इस मसले पर भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है। म्यांमार सेना के इस बड़े कदम की झलक बीते शनिवार को ही मिल गयी थी। जब सेना के प्रवक्ता ने मीडिया के सामने चुनावों में धांधली की बात कहते हुए तख्तापलट की आंशकाओं से इंकार नहीं किया था।
म्यांमर के कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिल आंग लाइंग ने सैन्य कमांडरों की बैठक (Military commanders meeting) के दौरान कहा था कि- अगर देश में कानून सही से नहीं चलता तो संविधान को रद्द कर आपातकाल लगा दिया जाये। जिसके बाद से गुपचुप तरीके से बख्तरबंद गाड़ियां बड़े शहरों और संवेदनशील इलाकों की बढ़ती रही है। इस बीच पूर्व नियोजित तरीके से सेना और कुछ ऐजन्सियां ने आम जनता को तख्तापलट के बारे में जानबूझकर बरगलाती दिखी, ताकि नागरिक विरोध और गृहयुद्ध की स्थिति से बचा जा सके।
विवाद की असल वज़ह चुनाव नतीज़े है। जिसमें आंग सान सू की के नेतृत्व वाली पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ने संसदीय चुनाव में कुल 476 सीटों में से 396 पर अभूतपूर्व जीत हासिल की और म्यांमार सेना द्वारा समर्थित यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (Union Solidarity and Development Party) महज़ 33 सीटों पर ही जीत दर्ज करा सकी। इसी के बाद से तख्तापलट की संभावनायें काफी प्रबल हो गयी थी उभर रहे हालातों को देखते हुए, कई आजादी पसन्द पश्चिमी मुल्क और संयुक्त राष्ट्र म्यांमार के लिए काफी फ्रिकमंद है।
इस मुद्दे को लेकर अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने राष्ट्रपति जो बाइडन को अवगत कराया। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करवाते हुए कहा- अमेरिकी सरकार म्यांमार की लोकतांत्रिक संस्थाओं के साथ मजबूती से खड़ी है। अमेरिकी और उसके तमाम सहयोगी देश आग्रह करते है कि, म्यांमार के राजनीतिक दल और सैन्य बल लोकतन्त्र और कानूनी पक्षों का पालन करते हुए हिरासत में लिये सभी लोगों को छोड़ दें। हम काफी बारीकी से म्यांमार के हालातों पर नज़र बनाये हुए है।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने आगे कहा कि- जरूरत पड़ने पर सभी तरह के सैन्य विकल्पों पर गौर किया जायेगा। जो लोग वहां लोकतन्त्र को बाधित करने के लिए जिम्मेदार है। उन पर अमेरिका सख़्त कार्रवाई कर सकता है। हम म्यांमार की आवाम़ के साथ खड़े है। इस मामले को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस भी काफी चितिंत है।