दिल्ली (ब्यूरो) आज से ठीक 1 साल पहले जैश ए मोहम्मद (Jaish-a-Mohammed) के घात (Ambush) लगाए एक हमले में, केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (Central reserve police force) के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले को अंजाम देने के लिए आतंकवादियों (Terrorists) ने विस्फोटकों (Explosives) से भरी कार का इस्तेमाल किया था, जो सीधे जवानों से भरी बस से टकरा गई।
इस आत्मघाती हमले (Suicide attack) में आदिल अहमद डार (Adil Ahmed Dar) का नाम सामने आया। जिसकी उम्र महज 20 साल थी। धमाके के बाद पुलवामा जिले के लीथोपोरा इलाके की वो सड़क जवानों के खून से लाल हो गई। आतंकवादियों की ये वारदात देश के लिए एक बड़ा झटका थी। जैसे-जैसे जवानों के शव तिरंगे में लिपटे उनके घर पहुंचे, तो उनके घरों से निकली मातम (lamentation) की आवाज़ से पूरा देश दहल उठा।
पूरे देश में गुस्से की लहर फूट रही थी कि, हमारे जवानों ने सरहद पर जान नहीं गंवायी, बल्कि वो तो एक सोचे समझे दहशतगर्द हमले का शिकार हुए। जिस दौरान ये हमला हुआ हमारे जवान निहत्थे (Unarmed) थे। इन्हीं बातों को लेकर पूरे देशभर में रोष (Fury) और शोक (Mourning) फैला हुआ था।
देशभर से आंखें नम करने वाले दृश्य आ रहे थे। उस दौरान तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह (Home Minister Rajnath Singh) भी जवानों को कंधा देते हुए दिखे। इस घटना के बाद पीएम मोदी (PM Modi) ने देश के लोगों की भावनाएं बखूबी समझी। इसके बाद जो हुआ उसकी गवाह (witness) पूरी दुनिया बनी। वायु सेना के बहादुर जवानों ने पाकिस्तान (Pakistan) की सरजमी में घुसकर आतंकी ठिकानों (Terrorist bases) को नेस्तनाबूद कर दिया। पाकिस्तान में बालाकोट के खैबर पख्तून (Khyber Pakhtun) इलाके में वायु सैनिकों ने प्रतिशोध (vengeance) की वो कीलें (Spikes) गाड़ दी, जिसके जख्म (Wounds) लंबे वक्त तक आतंकवादी तंजीमों को दर्द देते रहेंगे।