एजेंसियां/न्यूज़ डेस्क (प्रियंवदा गोप): पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के आह्वान पर तोड़े गए हिंदू मंदिरों के मुद्दे पर पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय (Pakistan Supreme Court) ने फैसला सुनाते हुए कहा कि- प्रांतीय सरकारें तोड़े गए मंदिरों को तुरंत तयशुदा वक्त के अंदर पुर्ननिर्मित करें। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस गुलजार अहमद की अगुवाई वाली तीन जजों की न्यायिक खंडपीठ कर रही थी। कोर्ट ने इस मामले का स्वत:संज्ञान लिया था। सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी मुख्य न्यायाधीश ये जानना चाहते थे कि मंदिर तोड़े जाने के मसले पर किसी तरह की क्षतिपूर्ति वसूली या गिरफ्तारी (Compensation recovery or arrest) हुई है या नहीं?
गौरतलब है कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में कट्टरपंथी ताकतों ने कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ करते हुए उसे आग के हवाले कर दिया। पिछले साल दिसंबर महीने के दौरान करक जिले में फजलुर रहमान की अगुवाई वाले कट्टरपंथी समूह जमीयत उलेमा ए इस्लाम पार्टी (Jamiat Ulama e Islam Party) के कार्यकर्ताओं ने एक शताब्दी पुराने प्राचीन हिंदू मंदिरों को तोड़फोड़ करते हुए आग लगा दी। जिस पर कई मानवधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
न्यायिक खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, जो लोग मंदिरों में तोड़फोड़ करने के जिम्मेदार है, उनसे क्षतिपूर्ति का पैसा वसूल कर मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया जाए। इस मामले पर जवाब दाखिल करते हुए इवैक्यूवई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (Evacuee Trust Property Board) के वकील इकराम चौधरी ने कोर्ट को बताया कि इस तरह की कोई वसूली नहीं हुई है। बता दे कि पाकिस्तान में इवैक्यूवई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों का रखरखाव करने वाली संस्था है। जो कि मंदिरों और गुरूद्वारों से जुड़ी शैक्षिक और चैरिटेबल इकाइयों को अनुदान भी देती है।
सुनवाई के दौरान इवैक्यूवई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के वकील इकराम चौधरी ने माना कि इस काम के लिए इमरान से सरकार से बोर्ड को तीन करोड़ रूपयों की मंजूरी मिली है। सख्ती दिखाते हुए जस्टिस एजाजुल एहसान ने कहा कि, जिन लोगों ने मंदिरों को तोड़ा है। उनसे पैसा वसूला जाना जरूरी है ताकि आने वाले वक्त में ऐसी हरकतें दोबारा ना हो और साथ ही मामले के आरोपियों को सबक मिल सके।