बाबुओं के हाथ में देश….
मौजूदा बजट सत्र में लोकसभा सदन में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री (PM Modi) निजीकरण की वकालत करते करते देश के “बाबुओं” पर बरस पड़े! उन्होंने देश के तमाम अफसरों को आड़े हाथों लेते हुए कहा-
“सब कुछ बाबू ही करेंगे? आईएएस है तो क्या जरूरी है सारे काम वही करेगा? IAS बन गया मतलब वो फ़र्टिलाइज़र का कारखाना भी चलाएगा! IAS हो गया तो वो केमिकल का कारखाना (Chemical factory) भी चलाएगा! IAS हो गया वो हवाई जहाज भी चलाएगा! ये कौन सी बड़ी ताकत बनाकर रख दी है हमने? बाबुओं के हाथ में देश देकर हम क्या करने वाले हैं? हमारे बाबू भी देश के हैं तो हमारे नौजवान भी तो देश के हैं! हम हमारे नौजवानों को जितना ज्यादा अवसर देंगे, उतना ही ज्यादा लाभ होने वाला है!”
कौन हैं ये “बाबू”?? कहाँ से आते हैं ये लोग? आइये जानते हैं!
संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) हर साल All India लेवल पर एक परीक्षा आयोजित करती है और देश के हजारों सर्वश्रेष्ठ नौजवानों को चुनती है।
चयन प्रक्रिया कितनी आसान होती है, इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा लीजिये कि अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख़ खान और एपीजे कलाम तक इस चयन प्रक्रिया को पार नहीं कर पाए थे!
फाइनल रिजल्ट आने के बाद ये नौजवान देश के सर्वोत्तम सुविधाओं से लैस प्रशिक्षण संस्थानों में भेज दिए जाते हैं! वहाँ सर्वोत्तम प्रशिक्षकों द्वारा, सर्वोत्तम माहौल में इन्हें प्रशिक्षित किया जाता है!
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद देशसेवा की शपथ देकर इन्हें देश के कोने कोने में भेज दिया जाता है। करोड़ों युवाओं के मार्गदर्शक ये नौजवान, नयी चुनौतियों से रूबरू होते हुए दिन ब दिन अपनी प्रतिभा को निखारते हैं।
इनके प्रशिक्षण, रहने,खाने, चलने फिरने पर आने वाला हर खर्च देश का करदाता उठाता है। उसके बदले में ये नौजवान अपने अनुभव तथा सूझबूझ से देश की हर समस्या को हल करने का प्रयास करते हैं!
केंद्र व राज्य सरकार द्वारा पारित कानूनों व योजनाओं को जन जन तक पहुंचाना, आंकड़ों को सूचीबद्ध कर राज्य व केंद्र को योजनाओं का खाका तैयार करने में मदद करना, इलाके में कानून-व्यवस्था बहाल रखना, हर साल लाखों मामलों का निपटारा करना व समाज में सौहार्द्र तथा भाईचारा (Harmony and brotherhood) बनाये रखना इनकी प्रमुख जिम्मेदारी है!
आपात स्थितियों में देश का हर नागरिक इनके निर्णय की प्रतीक्षा करता है। आम आदमी इनसे उच्च स्तर की ईमानदारी तथा कर्तव्यनिष्ठा की अपेक्षा करता है। विद्वत्ता तथा निर्णय क्षमता से लबरेज ये नौजवान UPSC के गौरवपूर्ण इतिहास में चार चाँद लगाते हैं। सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी देश का परचम लहरा कर आते हैं!
इन बाबुओं के महकमे से जुड़ी देखरेख और नियंत्रण सीधे देश के गृहमंत्रालय के पास होती है!
खैर… ये नौजवान लाखों में एक होते हैं! फिर प्रधानमंत्री को क्यों जरूरत पड़ी इन “बाबुओं” को underestimate करने की?
विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और प्रेस- एक मजबूत लोकतंत्र के चार स्तम्भ माने जाते हैं!
विधायिका (कानून बनाने वाले) ये खुद (केन्द्र सरकार) हैं! न्यायपालिका और प्रेस का हाल हम सबको मालूम है!
अब बच गयी कार्यपालिका (कानून को लागू करवाने वाले)! …..यानी “बाबू” लोग!!
सबके क्लास लगने के बाद अब इनका नंबर है!
मैं कई बार कह चुका हूँ कि मोदीजी कोई बात जल्दी नहीं भूलते!
आपको बस्तर का वो आईएएस अफसर याद है, जिसने मोदी जी को रिसीव करते वक्त आँखों पर Rayban का चश्मा पहन रखा था?
ड्रेस कोड का हवाला देते हुए उस कलेक्टर को तलब कर लिया गया था! बाद में उसने अपनी सफाई भी दी थी!
लेकिन ये बात मोदीजी को चुभ गयी! इस चुभन का परिणाम देर सवेर आना ही था!
…और तकरीबन चार साल बाद वो सवेर कल आ गयी!
UPSC में लैटरल एंट्री (पिछले दरवाजे से घुसाना) इसका प्रमाण है, जहाँ इन काबिल और आंख में आंख डालकर बात करने वाले नौजवानों की जगह खास वैचारिक परम्परा का अनुसरण करने वालों अनुबंधित किया जायेगा और वे लोग वहीं करेंगे जो सरकार इनसे करवाना चाहेगी!
याद रहे! आज अगर केन्द्र सरकार अपने मकसद में कामयाब हो गयी तो दूर दराज के आम लोगों की कोई नहीं सुनेगा!
क्योंकि देश के सिरमौर जम्मू और कश्मीर को पिछले ढाई साल नेता और पिछलग्गू नहीं, बल्कि UPSC के यही होनहार “बाबू” चला रहे हैं!
चाहे वो DM हो, SP हो या सेना का एक कर्नल!! सबकी जड़ एक ही है- UPSC!!!
साभार- कपिल देव