Ravidas jayanti 2021: प्रभु जी तुम चंदन हम पानी जैसे संत रविदास के अनमोल वचन

न्यूज डेस्क (दीक्षा गुप्ता): मन चंगा तो कठौती में गंगा जैसी अनमोल वचनों के रचनाकार संत रविदास (Sant Ravidas) ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख धर्मगुरू है। प्रत्येक साल हिंदू कैलेंडर के हिसाब से माघ माह की पूर्णिमा को संत रविदास जयन्ती मनाई जाती है। इस बार ये 27 फरवरी को है। 14वीं सदी के सुप्रसिद्ध संतों में से एक संत रविदास ने उस समय में ना केवल लोगों को सत्यमार्ग दिखाया बल्कि उन्हें अच्छे कर्मों का अनुसरण करने की भी शिक्षा दी।

कौन हैं संत रविदास?

भक्ति काल के महान संत रविदास का जन्म 14 सदी में काशी स्थित मंडुआडीह गाँव (Manduadih Village) में हुआ था। उनके माता पिता का नाम कर्माबाई और रघु था, उन्होंने प्रारम्भ से ही अपने पिता के चर्मकारी के व्यवसाय को ही चुना लेकिन वो इसे भी इतनी लगन से करते थे कि मानों यही उनकी उपासना है। उनकी समूह कल्याण की प्रेरणादायक शिक्षा आज के समय भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उस समय रही होंगी।

समाज सुधार में भूमिका

संत रविदास ने हमेशा ही लोगों को ईश्वर की भक्ति के लिए प्रेरित किया और साथ ही उन्होनें लोगों अपने दोहों के जरिए शिक्षित किया। उनके दोहों में समाज कल्याण की बातें निहित थी। जिसकी वजह से आज भी उनकी बातें लोगों की जुबां पर रहती है। चलिए उनके जन्मदिन पर उनके दोहों में मौजूद शिक्षा को एक बार फिर से दोहराते हैं।

कुछ प्रसिद्ध वचन

1..मन चंगा तो कठौती में गंगा।।

अर्थात..किसी के भी लिए मन की पवित्रता (Purity of mind) सबसे जरूरी है, अगर हमारा मन साफ है तो सब कुछ अच्छा है।

2..रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच। नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच।।

अर्थात…कोई भी व्यक्ति अपने जन्म से नीच नहीं बनता, बल्कि उनके कर्म ही उन्हें ऊंचा नीचा बनाते हैं। जीवन की ये बात व्यक्ति के कर्म से निर्धारित होती है।

3..ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन, पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीण।।

अर्थात किसी व्यक्ति की पहचान उसके ऊंचे या फिर नीचे कुल से नहीं की जानी चाहिए। अपितु व्यक्ति के कर्म उसकी पहचान के सूचक होने चाहिए कर्म के आधार पर किया गया निर्धारण सबसे ज्यादा उचित है।

4..प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी।।

अर्थात यहां संत रविदास ने ईश्वर को ही सब कुछ बताया है। उनके सामने मनुष्य बेहद तुच्छ है लेकिन दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। इसलिए ईश्वर चंदन हैं तो मनुष्य पानी जिसे मिला कर शरीर पर लगा लेने से शरीर सुगंधित हो उठता है। 

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