एजेंसियां/न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): अमेरिकी विदेश मंत्री के प्रवक्ता नेड प्राइस (US Secretary of State spokesman Ned Price) ने म्यांमार मामले पर चिंता जाहिर करते हुए इस मुद्दे पर अमेरिकी सरकार के पक्ष को स्पष्ट कर दिया। उन्होनें कहा कि-अमेरिका बर्मा के आम लोगों की शांति और लोकतंत्र से जुड़ी आकांक्षाओं के साथ मजबूती से खड़ा है। वाशिंगटन चाहता है कि वहां क्रूर सैन्य कार्रवाईयां और नागरिक स्वतन्त्रता का दमन रूके। जिन लोगों को गैरवाज़िब तरीके (Unreasonable method) से हिरासत में लिया गया है, उन्हें छोड़ा जाये। साथ ही तुरन्त पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हमले बंद हो।
अमेरिकी विदेश विभाग के सचिव एंटनी ब्लिंकन ने भी कहा कि अमेरिका बर्मा के लोगों के साथ खड़ा है। उन्होनें इस मामले पर एक ट्विट कर लिखा कि- जो लोग बर्मा (म्यांमार) में हिंसा को बढ़ावा दे रहे है। वाशिंगटन उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रखेगा। हम चाहते है कि म्यांमार में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार की बहाली हो। इसके साथ ही अमेरिकी सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने बर्मा में चल रही सैनिक तानाशाही (Military dictatorship) के खिलाफ मोर्चा खोला।
म्यांमार पुलिस ने बीते मांडले शहर में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने के बाद दो लोगों की हत्या कर दी और दर्जनों को घायल किया। गौरतलब है कि म्यांमार की सेना ने लोकतान्त्रिक सरकार को उखाड़ फेंका और नवनिर्वाचित संसद को बुलाने से पहले ही एक साल के आपातकालीन की घोषणा कर दी।
इस दौरान स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट सहित अन्य शीर्ष अधिकारियों को चुनावी धोखाधड़ी के आरोप में उनके घरों में उन्हें नज़र बंद कर दिया। तख्तापलट को लेकर म्यांमार में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक (Russian news agency Sputnik) के मुताबिक म्यांमार में हुए देशव्यापी में तीखे प्रदर्शनों के कारण कम से कम 150 लोगों को गंभीर चोटें आई।