नई दिल्ली (शौर्य यादव): भारत और चीन (China) के बीच द्विपक्षीय संबंध काफी नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। माना जा रहा है कि ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भारत आना हो सकता है। जिसे लेकर नई दिल्ली में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। मामले पर विदेश मंत्रालय की ओर से प्रतिक्रिया आयी। जिसमें कहा गया कि फिलहाल चीनी राष्ट्रपति के आने की तारीख तय नहीं की गई है, साथ ही ये भी कंफर्म नहीं है कि भारत आएंगे भी या नहीं। इसके लिए कोरोना महामारी को बड़ा कारण माना जा रहा है।
चीनी राष्ट्रपति के भारत आने की संभावनाओं को उस वक्त बल मिला। जब बीते सोमवार चीनी प्रवक्ता ने भारत से सकारात्मक संबंधों की पैरोकारी की। साथ ही ब्रिक्स की मेजबानी के लिए भारत का समर्थन किया। हालांकि चीनी प्रवक्ता ने ये साफ नहीं किया कि राष्ट्रपति शी नई दिल्ली जाएंगे या नहीं। इसी मसले पर भारतीय अधिकारियों की प्रतिक्रिया सामने आयी। उनके मुताबिक अभी इस मुद्दे पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। फिलहाल भारत की ओर से ब्रिक्स सम्मेलन की तारीखें तय नहीं की गई है। साथ ही मेजबानी के लिए भारत की ओर से कार्यक्रम का फॉर्मेट भी निर्धारित नहीं किया गया।
ऐसे में पुख़्ता कयास लगाए जा रहे हैं कि ब्रिक्स सम्मेलन मौजूदा हालातों को देखते हुए वर्चुअल हो सकता है। महामारी के मद्देनजर अभी तक रूसी राष्ट्रपति पुतिन (Russian President Putin) और चीनी राष्ट्रपति शी किसी भी विदेशी दौरे पर नहीं गये है। गौरतलब है कि इसी साल 1 जनवरी से भारत ने ब्रिक्स की अध्यक्षता का कार्यभार संभाला। बीते साल नवंबर महीने के दौरान ब्रिक्स सम्मेलन वर्चुअल माध्यम से किया गया था। ब्रिक्स का गठन साल 2006 के दौरान किया गया, ऐसे में ये तीसरा मौका है जब भारत इसकी अध्यक्षता संभाल रहा है।
ये मौका इसलिए भी खास है, क्योंकि चीन और भारत के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण माहौल से गुजर रहे हैं। बीते 9 महीने से दोनों ओर के सैनिक एक दूसरे के सामने आक्रमक मुद्रा में तैनात रहे। जिसके कारण दोनों पक्षों को मिरर डिप्लॉयमेंट (Mirror deployment) कई जगह करना पड़ा। हालांकि हाल ही में लद्दाख के पूर्वी मोर्चे पर दोनों ओर के सैनिक पीछे हटे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि ब्रिक्स के मंच का इस्तेमाल करके दोनों देश आपसी रिश्तों को एक बार फिर से सामान्य तौर पर बहाल कर सकते हैं।