नई दिल्ली (गौरांग यदुवंशी): तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे, किसानों ने मार्च महीने में महापंचायतों का सिलसिला शुरू करने का ऐलान किया। जिससे किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को नयी धार दी जायेगी। महापंचायतों के सिलसिले का ऐलान इसलिए किया गया क्योंकि किसानों और सरकार के बीच कानूनों की वापसी पर बना गतिरोध जारी है। इसी क्रम में भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने देश के विभिन्न हिस्सों में 28 फरवरी से 22 मार्च तक आयोजित होने वाली महापंचायतों की सूची जारी की है।
बीकेयू नेता राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 28 फरवरी से शुरू होने वाली सभी महापंचायतों में शामिल होंगे। तयशुदा कार्यक्रम (Default schedule) के मुताबिक मार्च में उत्तराखंड के रुद्रपुर में, 2 मार्च को राजस्थान के झुंझुनू जिले में, 3 मार्च को नागौर में, 5 मार्च को इटावा में और 5 मार्च को तेलंगाना में महापंचायतों का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद टिकैत इसमें शिरकत करेंगे। 7 मार्च को गाजीपुर में कार्यक्रम और 8 मार्च को मध्य प्रदेश के श्योपुर पहुंचेंगे। 10 मार्च को यूपी के बलिया में महापंचायत का आयोजन किया जाएगा, जबकि जोधपुर में 12 मार्च को, रीवा (एमपी) में 14 मार्च को और कर्नाटक में तीन महापंचायतें आयोजित होगी।
20, 21 और 22 मार्च को किसानों ने विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करने के मकसद से महापंचायतों की श्रृंखला (Chain of mahapanchayats) की घोषणा की गयी है। किसानों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता अनिर्णायक रही क्योंकि किसान कानून वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए है। जिसे लेकर केन्द्र सरकार पर अलग-अलग तरीके से दबाव बनाया जा रहा है। हाल में किसान नेता टिकैत ने कहा था कि, वो चालीस लाख ट्रैक्टरों के साथ संसद भवन का घेराव कर सकते है।
टैड्रीं न्यूज राकेश टिकैत से पूछा कि, अगर किसान चर्चा नहीं करेंगे, तो ये गतिरोध कैसे खत्म होगा और विरोध के कारण जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा है। इस पर उन्होनें ज़वाब दिया कि, “हम चर्चा के लिए तैयार हैं। हमने इस मामले में सरकार को संदेश भेजे हैं। लेकिन सरकार ने हमें जवाब नहीं दिया। ये विरोध सभी के लिए है।” बीकेयू के अलावा कई दलों के किसान विरोध के साथ एकजुटता दिखाने के लिए अपनी महापंचायतों का आयोजन कर रहे हैं।