Women’s Day: बॉलीवुड की 5 फिल्में जो महिला सशक्तिकरण उजागर करती हैं

एंटरटेनमेंट डेस्क (मोनी): महिलाएं पुरुषों से पीछे नहीं है लेकिन फिर भी कुछ लोग महिलाओं को सम्मान नहीं देते हैं उनके मन में यह विचार रहता है कि महिलाएं कुछ नही कर सकती है। आज महिला दिवस (Women’s Day) के इस अवसर पर हम आपको ऐसी ही 5 बॉलीवुड की फिल्मों के बारे में बताएंगे, जो कि दर्शाती है कि महिलाएँ किसी से कम नहीं है।

इंग्लिश विंग्लिश (2012)
मशहूर अदाकारा श्री देवी की फिल्म इंग्लिश विंग्लिश (English Vinglish) उन ग्रहणियों के ऊपर बनी है जो घर से बहार निकलकर आत्म सम्मान को हासिल करना चाहती है। इस फिल्म में शशि इंग्लिश सिखना चाहती है और वह इसका निर्णय लेती है। फिल्म यह दर्शाती है कि महिलाओं को भी अपनी मर्ज़ी के अनुसार निर्णय लेने चाहिए जिससे आपकी ज़िदगी बदल सकती हैं।

क्वीन (2014)
अभिनेत्री कंगना रनौत की हिट फिल्म क्वीन (Queen) ने एक अलग जगह बनाई है। इस फिल्म में कंगना ने रानी का रोल निभाया है जो शादी केंसिल होने के बाद पेरिस अकेली यात्रा करने जाती है। यह फिल्म उन महिलाओं को प्रेरणा देती है, जो महिलाएं शादी टुटने के बाद शर्मिंदगी महसूस करने लगती हैं।

मर्दानी 2, (2019)
मर्दानी 2 (Mardaani 2) साल 2014 में आई फिल्म ‘मर्दानी’ का सीक्वल है। इस फिल्‍म में रानी मुखर्जी, पुलिस ऑफिसर के किरदार में हैं। मर्दानी 2 का उद्देश्य, भारत में किशोरों द्वारा महिलाओं के साथ होने वाले जघन्य अपराधों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। फिल्म में महिलाओं की सुरक्षा और लैंगिक असमानता जैसे मुद्दों को दर्शाया गया है।

सांड की आंख(2019)
2019 में रिलीज़ हुई सांड की आंख (Saand Ki Aankh) असल जिंदगी में शार्पशूटर, Chandro और Prakash Tomar (क्रमशः Bhumi Pednekar और Taapsee Pannu द्वारा अभिनीत) पर आधारित है जिन्होंने पहली बार 60 के दशक में बंदूक उठाई थी और कई पदक विजेता शूटिंग चैंपियन बने थे। शूटर दादियों ने महिलाओं के लिए भेदभाव और हिंसा से बाहर निकलने के लिए रास्ता प्रशस्त किया।

थप्पड़ 2020
तापसी पन्नू की फिल्म थप्पड़ (Thappad) एक विवाहित जोड़े के आधार पर स्थापित किया गया है, जिनके बीच सहज संबंध है, लेकिन एक अप्रत्याशित थप्पड़ सब कुछ बदल देता है। पुरुष और स्त्री के रिश्ते पर बनी ये फिल्म सवाल उठाती है कि क्या दोनों के बीच बराबरी का रिश्ता है? जब अमृता अपने पति से तलाक़ लेने का फैसला लेती है तो वह अपने आसपास की दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित करती है कि वह भी बदलाव के लिए पहल करें। इस फिल्म दिखाया है कि औरतों का भी मान-सम्मान होता है।

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