नई दिल्ली: जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग, खुरेजी खास और भजनपुरा में CAA के विरोध स्वरूप उपजे हिंसा में 9 व्यक्तियों की मौत, 48 पुलिसकर्मी और 98 आम नागरिक घायल हुए है। साथ ही लगी आग को बुझाते समय तीन दमकलकर्मी भी घायल हो गए।
यह सब हुआ है सिर्फ एक झूठ पर कि CAA से मुस्लिमों को बाहर निकाल देंगे जबकि CAA का भारतीय नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है यह कानून नागरिकता (Citizenship Amendment Act) देने की बात करता है छीनने की नहीं। जब देखा गया कि CAA का झूठ पकड़ा गया तो मार्केटिंग वाले लड़कों की तरह जी क्रेडिट कार्ड के बदले हैडफ़ोन मिलेगा टाइप पैकज बेचने लगे। बताया जाने लगा देखो जी CAA, NRC और एनपीआर तो पैकेज है कॉम्बो है और क्रोनोलॉजी समझाने जॉनर लगी।
स्वरा गैंग जैसे जॉम्बीज ने NRC से बहुत बुरा होने वाला है टाइप डर लोगों के जेहन में बिठाया। वो अलग बात है कि NRC आया नहीं है, ड्राफ्ट तक का पता नहीं फिर भी इसे CAA से जोड़ना जरूरी था तभी बन्द हो चुकी दुकान पुनः चल पाती PFI का फंड प्रयोजित दंगे करवाना इसका सबूत है।
मौलानाओं की तकरीरों, आपियों के नेता, मुसलमान जमात के झंडरबरदारों, स्वरा, जीशान, अनुराग कश्यप और पत्तलकारों जैसों के हाथ सभी मौतों और घायलों के खून से सने हुए है, यह पूरी जमात हत्यारी है।
अब आगे क्या? ऐसे में जरूरत है कि मुसलमान समाज के सिविल सोसाइटी के बुद्दिजीवी लोगों को आगे आना चाहिए साथ ही इस्लामिक धर्मगुरुओं को भी आगे आकर बताना चाहिए कि CAA का कोई अर्थ नहीं है और NRC अभी जन्मा भी नहीं है। वरना ऐसा न हो कि देरी हो जाये और यह मसला पूरे देश में हिन्दू बनाम मुस्लिम का रूप ले लें जिससे नुकसान एक गरीब, निर्दोष मुसलमान और हिन्दू को दूर दराज भारत में भुगतना पड़ें?
कल्पना कीजिये देश की राजधानी दिल्ली में यह स्थिति है तो दूर दराज क्षेत्रों में इस आग की लपटें कितना नुकसान करेगी और किसका करेगी?