दुश्मनों का होश उड़ाने आ गया INS Karanj, कहलाता है साइलेंट किलर

नई दिल्ली (दिगान्त बरूआ): स्कॉर्पीन क्लास की पनडुब्बी आईएनएस करंज (INS Karanj) आज भारतीय नौसेना में शामिल हो गई। इसकी तैनाती के बाद भारतीय नौसेना की ताकत में भारी इज़ाफा होगा। इस मौके पर नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और एडमिरल (सेवानिवृत्त) वीएस शेखावत ने अपनी मौजदूगी दर्ज करवायी। सबमरीन को साल 2018 में कई टेस्ट कर परखा गया। हर टेस्ट की कसौटी पर खरा उतरने के बाद इसे लॉन्च कर दिया गया।

इस मौके पर नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने कहा कि, भारतीय नौसेना पिछले 7 दशकों में रक्षा उत्पादों के क्षेत्र में स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता की मजबूत पैरोकारी करती रही है। मौजूदा वक़्त में 42 में से 40 जहाज और पनडुब्बियों को भारतीय शिपयार्ड में बनाया जा रहा है। भारतीय नौसेना के गौरव और भविष्य की जरूरतों को देखते हुए आत्मनिर्भर और स्वदेशीकरण मूल सिद्धांत है।

स्कॉर्पीन क्लास की पहली दो पनडुब्बियों INS कलवरी और INS खंडेरी को पहले ही नौसेना में शामिल किया जा चुका है। कलवरी क्लास की कुल 6 पनडुब्बियां मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (Mazgaon Dockyard Limited) में बनाई जा रही हैं और अब आईएनएस करंज देश का गौरव बनने के लिए तैयार है। परमाणु पनडुब्बी को छोड़कर भारतीय नौसेना की सभी पनडुब्बियां डीजल-इलेक्ट्रिक हैं।

इनके हवा आधारित प्रोपल्शन होने के कारण इन्हें एक या दो दिन में समुद्र की सतह पर आना पड़ता है। वहीं INS करंज में खास तकनीक का इस्तेमाल कर इस कवायद को बायपास किया गया है। इसे कई एड़वांस तकनीकों से लैस किया गया है। इसमें स्टील्थ और एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (Stealth and Air-Independent Propulsion) को शामिल किया गया है। जिसकी मदद से ये 50 दिनों तक समुद्र के अन्दर रह सकती है।

INS करंज एक बार में 12,000 किमी तक का सफर तय कर सकती है। इसमें 8 अधिकारी और 35 नौसैनिक रह सकते हैं। समुद्र के नीचे ये 350 मीटर तक गोता लगाने की काबिलियत रखती है। कलवरी क्लास की पनडुब्बियां समुद्र के नीचे 37 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती हैं। खास बात ये है कि INS करंज में दुश्मन के जहाज को नष्ट करने के लिये खास किस्म के टॉरपीडो लगाये गये है। ये काफी सफाई से समुद्र में बारूदी सुरंगें बिछा सकती हैं।

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