एजेंसियां/न्यूज डेस्क (पार्थसारथी घोष): यूएस (United States of America) ने बीते मंगलवार बीजिंग को बुरी तरह लताड़ हुए कहा कि, तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की उत्तराधिकार प्रक्रिया में ड्रैगन किसी तरह के अड़ंगे ना डाले। ऐसा करना धार्मिक स्वतंत्रता का अपमानजनक है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने ये बात दलाई लामा के पुनर्जन्म के मुद्दे पर राष्ट्रपति जो बिडेन अधिकारिक प्रतिक्रिया दर्ज करवाते हुए कहा कि, अमेरिकी सरकार का मानना है कि चीनी सरकार की दलाई लामा की उत्तराधिकार प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि, 25 साल पहले दलाईलामा पद के उत्तराधिकार बच्चे के रूप में पंचेन लामा को गायब कर बीजिंग इस मामले में अपनी नापाक हरकत कर चुका है। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना सरकार की प्रतिनिधि धार्मिक स्वतन्त्रता का हवाला देकर इसका इस्तेमाल धर्म को अपमानित करने के लिए कर रहे है। चीनी सरकार ने 1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया और तब से इस इलाके को वामपंथी चीनी सरकार नियंत्रित करती है। भगवान बुद्ध का अवतार कहे जाने वाले दलाईलामा जो कि अभी 85 साल के है, उन्होनें ऐलान किया कि 90 साल की उम्र के आसपास वो वह फैसला करेगा कि अवतार का पुनर्जन्म होगा या नहीं।
दलाई लामा को चीन बड़ा कारण मानता रहा है कि, उनकी अगुवाई में तिब्बत चीन से अलग हो जायेगा। दलाई लामा साल 1959 में भारत आये। इस बीच 10 वें पैंचेन लामा (लोबसांग त्रिनले लुंड्रुप चोइकल्स ग्यालत्सेन) पीछे तिब्बत में ही छूट गये। दलाई लामा ने कई मौकों पर चीनी शासन के खिलाफ तकरीरें जारी की। हाल के सालों में चीन ने तिब्बतियों के धार्मिक जीवन की पहचान को कुचलने के लिये दलाई लामा पर ज़ुबानी हमले तेज कर दिये। चीनी सरकार उन्हें हिकारत भरी निगाहों से देखती है। चेयरमैन माओत्से तुंग ने एक दफ़ा 14 वें दलाई लामा से कहा था कि धर्म जहर है।
चीनी सरकार के राज्य धार्मिक मामलों के ब्यूरो ने साल 2007 में जीवंत तिब्बती बुद्धों के पुनर्जन्म से जुड़ी एक विस्तृत नियमावली पेश की थी। उन चीनी दस्तावेज़ के मुताबिक तिब्बतियों को पुनर्जन्म और धार्मिक आंकड़ों (Incarnation and Religious Data) से जुड़ी जानकारियां चीनी प्रशासक अधिकारियों से वेरिफाई करवानी होगी। जो कि इनका अनुमोदन करेगें। ये काम स्टेट काउंसिल के बड़े नौकरशाह की देखरेख में होगा। फिलहाल इस ओहदे पर प्रीमियर ली केकियांग काब़िज है। जो कि शीर्ष नागरिक प्रशासन निकाय की कमान संभालते है। हालांकि दलाई लामा ने कहा है किस अगर वो पुनर्जन्म लेना चाहते हैं तो 15 वें दलाई लामा को खोजने की ज़िम्मेदारी गैडेन फोडरंग ट्रस्ट पर होगी। जो कि भारत में एक खास धार्मिक समूह है। इसकी स्थापना उन्होनें निर्वासन में जाने के बाद की थी।
दूसरी ओर चीन धार्मिक संस्थानों को अपने कब्ज़े में लेकर तिब्बतियों के धार्मिक जीवन और स्थापित शाश्वत मान्यताओं (Established eternal beliefs) से दलाई लामा को खत्म करने की अपनी नीतियों पर आगे बढ़ रहा है। अमेरिका ने तिब्बती लोगों की इच्छाओं पर दलाई लामा के पुनर्जन्म को चुनने का समर्थन करते हुए, इस मामले में चीनी सरकारी अधिकारियों की मंजूरी और बाहरी हस्तक्षेप को खुली धमकी दी है।