एजेंसियां/न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): पाकिस्तान को एक और बड़ी जिल्लत झेलनी पड़ रही है। हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने इस्लामाबाद से अपने पैसे की वापसी की मांग करते हुए 1 बिलियन अमरीकी डालर मांगे। यूएई के ये पैसे स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान में जमा है। जो कि पाकिस्तान के केन्द्रीय बैंक है। यूएई की ये रकम पाकिस्तान बैकों में मैच्योर हो गयी है। इस मामले पर पाकिस्तान ने यूएई को अपनी खस्ताहाल अर्थव्यवस्था का हवाला देते कहा कि इतनी बड़ी रकम का भुगतान करने से उनकी माली हालत और ज़्यादा खराब हो जायेगी।
इस बात को लेकर शीर्ष पाकिस्तानी अधिकारियों ने संयुक्त अरब अमीरात और क्राउन प्रिंस से बात करने की कोशिश लेकिन उन्हें वहां से कोई ज़वाब नहीं मिला। जिसके बाद उनकी नाउम्मीदी काफी बढ़ गयी है। ये बात जगज़ाहिर (Well known) है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद दोयम दर्जे की हो चुकी है। विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक COVID महामारी के दौरान पाकिस्तान के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में भारी गिरावट आयी है। वित्तीय वर्ष 2019 में ये 1.9 फीसदी दर्ज की गयी। वित्तीय वर्ष 2020 में ये और भी ज़्यादा घटकर -1.5 प्रतिशत पर पहुँच गयी।
इस साल की शुरुआत के साथ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और पाकिस्तान के बीच स्टाफ लेवल पर USD 500 मिलियन को लोन समझौता हुआ। इस बड़े लोन की रकम भी पाकिस्तानी हुकूमत को जारी कर दी गयी। साल 2019 में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान ने अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के एवज़ में इस्लामाबाद को 6 बिलियन अमरीकी डालर का लोन देने की रज़ामंदी ज़ाहिर की थी। मौजूदा हालातों में यूएई के क्राउन प्रिंस इमरान खान से खासा नाराज़ (Resentment of crown prince) चल रहे है। पैसे की कवायद को इसी मामले से जोड़कर देखा जा रहा है।