Indus River Issue: भारत और पाकिस्तान के विशेष आयुक्तों की होगी दो साल बाद बैठक

न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): भारत और पाकिस्तान के सिंधु नदी जल आयुक्तों (Indus River Water Commissioners) के बीच 23-24 मार्च को नई दिल्ली में बैठक होगी। दोनों पक्षों के बीच वार्ता का ये दौर करीब ढाई साल बाद हो रहा है। सिंधु जल संधि के तहत आयुक्तों की बैठक हर साल होना तय थी। इस कड़ी में पिछले बैठक अगस्त 2018 को लाहौर में में हुई थी। इस बैठक में भारत की ओर से प्रदीप कुमार सक्सेना शामिल होगें, जबकि पाकिस्तान की अगुवाई सैयद मुहम्मद मेहर अली शाह करेंगे।

पिछले साल COVID-19 महामारी के कारण 1960 में लागू हुई संधि के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि दोनों तरफ के सिंधु नदी जल आयुक्तों के बीच बातचीत नहीं हुई। आमतौर पर दोनों पक्षों के बीच होने वाली ये वार्ता 1 अप्रैल से 31 मार्च के बीच पूरी कर ली जाती है। इस मुद्दे पर प्रदीप सक्सेना ने कहा कि हम संधि के तहत भारत के अधिकारों के पूर्ण उपयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं और चर्चा के माध्यम से मुद्दों का सौहार्दपूर्ण ढ़ग से समाधान निकालने को लेकर भारत हमेशा से ही आस्थावान रहा है।

इस बैठक के दौरान चेनाब नदी पर भारतीय जलविद्युत परियोजनाओं (Indian Hydroelectric Projects) के डिजाइन पर पाकिस्तान की ओर से दर्ज कराई गयी आपत्तियों पर विस्तृत चर्चा होगी। प्रदीप सक्सेना के मुताबिक उठ रहे मुद्दों को लेकर संयुक्त संकल्प (Joint resolution) पास किया जायेगा। दोनों आयुक्त वाटर कमीशन के पर्यटन के कार्यक्रम को भी अंतिम रूप देंगे। इसी बैठक के दौरान ही दोनों पक्षों के बीच आगामी वर्ष के लिए बैठकों का साझा कार्यक्रम भी तय किया जायेगा। भारत की ओर से नियमित अन्तराल पर दोनों मुल्कों के बीच डेटा शेयरिंग की बात कहीं गयी है। जिस पर इस्लामाबाद पूरी तरह सहमत है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ज़ाहिद हाफ़िज़ चौधरी ने भी बैठक की पुष्टि की और मीडिया को बताया कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली की रवानगी के लिए तैयार है।

ये बैठक ऐसे वक़्त में हो रही है, जब भारतीय और पाकिस्तानी बलों ने संयुक्त बयान जारी कर नियंत्रण रेखा पर 2003 के युद्धविराम समझौते का पालन आपसी रज़ामंदी से करने का आश्वासन दिया है। साल 2019 में जम्मू-कश्मीर में हुए पुलवामा आतंकी हमले और विशेष दर्जे को हटाने के बाद पहली बार इस वार्ता को नई दिल्ली आयोजित कर रहा है। 1960 की सिंधु जल संधि के तहत, तीन पूर्वी नदियों – सतलज, ब्यास और रावी का पानी जो कि लगभग तीन मिलियन एकड़-फीट (MAF) को घेराव करता है। उसके बंटवारे को लेकर देने देशों के बीच आपसी समझौता हुआ था। इसी क्रम में भारत सिंधु, झेलम और चिनाब को 135 MAF पानी सलाना तौर पर पाकिस्तान के लिए छोड़ता है।

संधि के मुताबिक नई दिल्ली को तीनों पश्चिमी नदियों पर नदी परियोजनाओं के माध्यम से पनबिजली उत्पादन का अधिकार है। जो डिजाइन और संचालन के लिए विशिष्ट मानदंडों के तहत है। पाकिस्तान पश्चिमी नदियों पर भारतीय पनबिजली परियोजनाओं के डिजाइन पर संधि के तहत ऐतराज ज़ाहिर कर सकता है। इसी संधि के तहत दोनों मुल्कों पानी बंटवारे को लेकर कई मामले सुलझाये है। विवाद होने के हालात में दोनों देश तटस्थ विशेषज्ञों या अदालतों में जा सकते हैं।

पाकिस्तान के एक निचले हिस्से वाले इलाके में भारत की चिनाब नदी पर बने रहे प्रोजेक्ट्स से असर पड़ रहा है। जिस पर इस्लामाबाद ने आपत्ति जतायी। माना जा रहा है कि आगामी बैठक के दौरान पाकिस्तान इसी मुद्दे को जोर-शोर से उठायेगा। सिंधु जल आयुक्तों की ये 116 वीं बैठक है। पिछले साल मार्च में दिल्ली में ये वार्ता होने वाले थी, लेकिन COVID के कारण नहीं हुई। दोनों पक्षों के वार्ताकार को अटारी चेक पोस्ट पर बैठक करनी थी। जिसके बाद भारत ने जुलाई 2020 में वर्चुअल बैठक करने की बात कही थी। पाकिस्तान की ओर से वर्चुअल बैठक पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। जिसके बाद इसे टाल दिया गया।

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